अगर शिशुपाल 100 गलतियाँ नहीं करता, तो क्या वह अमर / चिरंजीवी बन जाता?

नहीं, वो फिर भी चिरंजीवी नहीं होता । और शिशुपाल के चरित्र का यही कारण है। वह स्पष्ट रूप से एक अपमानजनक और एक आपराधिक मानसिकता वाला व्यक्ति था जिसका खुद पर कोई नियंत्रण नहीं था।

गाली देना उसकी विशेषता थी। और मान लें कि वह 100 गलतियाँ नहीं करता है, जिसका अर्थ है कि या तो उसे गलतियों का एहसास होता या वह चतुराई से उनसे बचने की कोशिश करता , लेकिन फिर भी कुछ लोग उसे चिरंजीवी मानते हैं। क्योंकि उसके वरदान में भीष्म की तरह ही मर्यादा है।

जीवन काल में कोई व्यक्ति अनजाने में भी गलती कर सकता है और गिना जा सकता है। तो यह संक्षेप में शिशुपाल चिरंजीवी नहीं है।

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