आखिर दिन और रात क्यों होती है?
कुछ लोगों का कहना है कि दिन और रात किस लिए होता है ताकि हम सुबह देख सके गुड मॉर्निंग दे सके इस किसी को गुड मॉर्निंग कहते हैं या फिर हम रात को आराम कर सके।
परंतु सच बात तो यह है कि दिन और रात हमारे पृथ्वी के घूमने या फिर पहले की पृथ्वी के अपने ही अक्स में घूमने से दिन और रात होती है।
क्योंकि जब पृथ्वी अपने कक्ष में घूमती है तो वह एक चक्र पूरा करने में 24 घंटे लगाती है।
तू जो सूरज से कहने आते हैं वह एक समय में पृथ्वी के एक भाग पर ही पड़ती है और दूसरे भाग पर सूरज की रोशनी ना पहुंचने के कारण वहां पर अंधेरा या फिर हम कह सकते हैं कि रात हो जाती है।
यह खुद भी अपने फोन की फ्लैश लाइट से करके देख सकते हैं बस आपको एक बॉल चाहिए और बोल को घुमाइए और आप देखोगे कि जहां पर आगरा फ्लैश लाइट आ रही है वह हम पर दिन होगा जाने की फोन की रोशनी पड़ेगी और जो बोल की पिछली साइड हो गई वहां पर अंधेरा होगा यानी कि हम कह सकते हैं कि वहां पर रात हो गई है।
लोग सोते होंगे कि रात हमें सोने के लिए बनाई गई है परंतु यह सच नहीं है।
विज्ञानिक नई खोज कीजिए जब हम सो रहे होते हैं दो हमारा जो दिमाग होता है वह और भी गति से काम करता है तो उसका यह मतलब है कि हम अपने दिमाग को नींद में कोई आराम प्रदा नहीं करते हैं परंतु उस समय हमारा दिमाग कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो जाता है।
इस बारे में आप गूगल में भी आर्टिकल पढ़ सकते हैं वहां पर आपको पूरी जानकारी मिल जाएगी।
साइंटिस्ट खोजने में अभी तक असमर्थ है कि जब हमारे शरीर को नींद की आवश्यकता नहीं होती है फिर भी हमें नींद क्यों आती है हमारा माइंड कभी भी काम करना बंद नहीं करता है शरीर का कोई भी अंग कभी भी रेस्ट नहीं करता है फिर भी नींद क्यों आती है हमें इसकी आवश्यकता क्यों पड़ती है यार ऐसे ही बना हुआ है
और मैं आपको नहीं जानकारी देता हूं कि पिछले कुछ समय में विज्ञानीको ने यह पता किया कि हमारी पृथ्वी एक चक्कर लगाने में 1 सेकंड कम ले रही है।