आखिर द्रौपदी का पहला प्यार कौन था?
ध्रुपद कन्या पांचाल राजकुमारी द्रोपदी का जन्म भाई धृष्टद्युम्न के साथ हुआ ध्रुपद को अपने अपमान का बदला लेने के कारण पुत्र चाहिए था इसलिए यज्ञ करवाया तब धृष्टद्युम्न का जन्म हुआ साथ में द्रोपदी का भी जाहिर है यज्ञ विफल नहीं होता जरुर ध्रुपद के प्रतिशोध को पूर्ण करने में द्रोपदी का भी हाथ होगा क्योंकि यज्ञ से दोनों इसी उद्देश्य के कारण उत्पन्न हुएं थे।
पर ध्रुपद को सिर्फ बेटे की चाह थी इसलिए धृष्टद्युम्न को अधिक प्रेम किया और पांचाली पर ध्यान नहीं दिया इसका मलाल द्रोपदी को था की वह भी पिता की सहायता करे।
द्रोपदी का स्वयम्बर तय हुआ कृष्ण भी वहां थे ।धुपद जानता था की अर्जुन ही दोण का वध कर सकते हैं इसलिए प्रतियोगिता आयोजित की कठिन।उधर कृष्ण दोपदी के कक्ष में जाकर कुछ समझा कर बाहर आये। स्वयंबर हुआ दोपदी को भी अपने पिता के प्रतिशोध को पूर्ण करने के लिए कर्ण को अपमानित कर अर्जुन को वर के रूप में चुना। अर्जुन प्रेम वाली बात का वर्णन महाभारत में नहीं है।
कुछ लोग कर्ण द्रोपदी प्रेम कहानी बताते हैं जो पूर्णतः गलत है। यह बात महाभारत की विभिन्न संस्करणों में से एक भील महाभारत जो डूंगरी के भीलों की प्रसिद्ध महाभारत कथा है वहीं से कर्ण द्रोपदी प्रेम कहानी का वर्णन हुआ है और दोपदी के फल तोड़ने और कर्ण प्रेम की बात स्वीकार करने का वर्णन किया है।। पर मैं बोरी महाभारत को सर्वश्रेष्ठ मानता हूं इस आधार पर तथ्य प्रस्तुत किया क्योंकि बोरी महाभारत में द्रोपदी की प्रेम कहानी का वर्णन नहीं है।