आखिर वहम वह बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं हो सकता

आज का विषय वहम के नकारात्मक प्रभाव को व्यक्त करता है क्योंकि यह वह बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं होता है अच्छा खासा व्यक्ति भी जब एक बार वहम के चंगुल में फँस जाता है तो वह अपनी संपूर्ण क्षमताओं का प्रयोग केवल अपने वहम को संतुष्ट करने में ही लगा देता है।हम में से बहुत से लोग काल्पनिक डर को मन में बैठा कर हमेशा भयभीत रहते हैं,अब ज़रूरत इस बात की है की इस मुसीबत से बाहर कैसे निकला जाए तो सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की हर वह व्यक्ति जो किसी ना किसी वहम या डर में है वह एक बार दृढ़ निश्चय करके अपने आप को उस डर से मुकाबला करा के देख ले,अपने आप को उस परिस्थितियों में छोड़ दे फिर जो आत्मविश्वास आयेगा वह व्यक्ति को आजीवन भय मुक्त कर देगा,सतर्क रहना और अपनी सुरक्षा करना हर व्यक्ति के लिए ज़रूरी है परंतु जब वही आपके लिए मुश्किलों को लाने का काम करें तब सम्भलना पड़ता है।बार -बार असफल होने वाला छात्र मान चुका था की वह कभी भी सफल नहीं हो सकता है परंतु तभी अनायास ही वह ज़िद कर बैठता की या तो मैं सफल हो जाऊँगा या फिर कुछ कर गुज़र जाऊँगा आज उस छात्र का नाम थॉमस अल्वा एडिसन के नाम से विख्यात हुआ।बहुत से लोगो को पानी से डर लगता है और बहुत लोगो को ऊचाई से डर लगता है,बहुत से लोगो को भूत-प्रेत से डर लगता है,यह सब डर वहम होते है जो इंसान के जीवन मैं कभी घटित नही होते है क्योंकि जो जब होना होगा तब वह हो जाएगा उस क्षण अपने आप शक्ति आ जाती है और व्यक्ति मुसीबत से बाहर आ ही जाता है,अगर मरना लिखा ही होगा तो कही भी मौत हो जायेगी इसलिए मनुष्य को आत्मबल के साथ जीना चाहिए।आशा करती हूँ की आज का विषय आपको पसंद आया होगा।

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