आज़ादी से पहले क्या सरकारी कर्मचारियों को अभी की तुलना में कम छुट्टियां मिलती थीं? जानिए

सरसरी तौर पर सोचने पर भी यह तो ध्यान में आ ही जाता है कि आज़ादी से पहले जो हमारे तीन राष्ट्रीय अवकाश हैं, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और महात्मा गांधी जयंती, इन तीन अवसरों पर अवकाश नहीं होता था।

छुट्टियां अभी की तुलना में कम थी या ज्यादा यह देखना मजेदार होता। नेट पर खोजने से कुछ विशेष मिला नहीं। एक बॉम्बे के सार्वजनिक अवकाश का कैलेंडर मिला जिसे सरकार ने नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट्स के तहत जारी किया है।

अभी भी जो सरकारी अवकाश का कैलेंडर जारी किया जाता है उसकी भाषा इस कैलेंडर से काफी मिलती जुलती है। अभी भी अवकाश उसी नियम से दिए जाते हैं जैसा इस कैलेंडर में है।

पहला अवकाश एक जनवरी को नव वर्ष का है, जो अब सार्वजनिक अवकाश नहीं रहा। कैलेंडर में आखिरी प्रविष्टि न्यू ईयर की पूर्व संध्या पर 31 दिसंबर को अवकाश की है। यह भी अब सार्वजनिक अवकाश नहीं रहा।

भारतीय हिन्दू त्योहारों में शिवरात्रि, दशहरा, दीपावली, गणेश चतुर्थी, गोपाल अष्ठमी और रामनवमी को अवकाश है। होली उस वर्ष रविवार के दिन थी इस कारण अलग से अवकाश घोषित नहीं है। दीवाली के लिए तीन दिन की छुट्टी दी गई है।

मुस्लिम त्योहारों में मुहर्रम और ईद को एक एक दिन की छुट्टी है। बकरीद और ईद उल मिलाद छुट्टी के दिन ही पड़ने के कारण अलग से छुट्टी नहीं दी गई है लेकिन यह स्पष्ट होता है कि उन दिनों इनकी छुट्टी मिलती थी।

पारसी नववर्ष के लिए दो दिन की छुट्टी दी गई है इसके अलावा नवरोज और जॉर्थोस्ट डो निसो की भी छुट्टी है।

दबदबा ईसाई त्योहारों का है, न्यू ईयर, न्यू ईयर इव के अलावा गुड फ्राइडे को एक दिन, ईस्टर को दो दिन, क्रिसमस के लिए तीन दिन अवकाश है।

हिज मैजेस्टी द किंग इंपरर के जन्मदिन को भी लोग छुट्टियां मना रहे थे।

एक छुट्टी कोकोनट डे की तरह लग रही है जिसे मैं समझ नहीं पाया।

कुल अवकाश के दिन करीब करीब अभी मिलने वाले अवकाश के बराबर ही हैं परन्तु पारसी और ईसाई त्योहारों का ज्यादा महत्व दिया गया है।

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