आलू का प्रयोग भारत में कितने सौ सालों से हो रहा हैं?

भारत में, आलू की कथा का आरंभ पुर्तगाली और डच व्यापारियों के साथ हुआ है।
उस समय जहांगीर का शासन काल था जब आलू आया था, भारतीयों को आलू का स्वाद चखाने का श्रेय यूरोपीय व्यापारियों को जाता है, जो भारत में आलू लेकर आए और यहां उसका प्रचार किया।

आलू की उत्पत्ति का विवरण

ये तो स्प्ष्ट है इसकी उत्पत्ति भारत में नहीं हुई है, ये दक्षिण अमेरिका की एंडीज पर्वत श्रृंखला में स्थित टिटिकाका झील के पास हुआ था, जो समुद्र से करीब 3,800 मीटर उंचाई पर स्थित है।
भारत में आलू को बढ़ावा देने का श्रेय वारेन हेस्टिंग्स को जाता है जो 1772 से 1785 तक भारत के गवर्नर जनरल रहे, 18वीं शताब्दी तक आलू का पूरी तरह से भारत में प्रचार-प्रसार हो चुका था।
यूरोपीय व्यापारियों का प्रभाव उपमहाद्वीप में नहीं बढ़ा और आलू मालाबार तट के किनारे छोटे पैच तक ही सीमित रहा।
19 वीं शताब्दी तक, पूरे बंगाल और उत्तर भारत की पहाड़ियों में आलू उगाए जाने लगे।
उस समय आलू की तीन प्रजाति थीं :-

पहली प्रजाति के आलू का नाम “फुलवा” था, जो मैदानी क्षेत्र में उगता था।
वहीं, दूसरे का नाम “गोला” था,क्योंकि वो आकार में गोल होता था।
तीसरे आलू का नाम “साठा” था, क्योंकि वो 60 दिन बाद उगता था।
विश्व मे आलू की पैदावार

भारत में आने से पहले भी आलू की पैदावार की जाती थी, यूरोप के साथ-साथ अमेरिका जैसी जगहों पर भी आलू होता था।
वहीं, उस समय रूस में आलू को ‘शैतान का सेब’ कहा जाता था।
आज सबसे ज्यादा आलू चीन में पैदा होता है, जबकि इसके बाद रूस और भारत का नंबर आता है।
दुनिया में गेहूं, चावल और मकई के बाद आलू ही एक ऐसी खाध पैदावार है जो सबसे अधिक खेती की जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *