इंसान के हैरान कर देने वाले मनोवैज्ञानिक तथ्य क्या है?

मानव स्वभाव यही है कि वे उन लोगों को नजरअंदाज करने लगते हैं, जो उन्हें पसंद करते हैं और उन पर अधिक ध्यान देते हैं, जो उनकी उपेक्षा करते हैं

लोग कभी इस बात को याद नहीं रखते कि आपने उनसे क्या कहा था. वे उस बात को याद रखते हैं कि आपने उन्हें कैसा महसूस कराया था.

ज्यादा तकिये लेकर सोने वाला व्यक्ति कहीं न कहीं ख़ुद को बहुत अकेला महसूस कर रहा होता है.

एक अध्ययन अनुसार लगभग 72% लोगों के दिमाग में रचनात्मक विचार नहाते समय आते हैं.

व्यस्त रहने पर लोग अधिक ख़ुश रहते हैं, क्योंकि व्यस्तता उन्हें जीवन की नकारात्मक चीजों के बारे में सोचने से रोकती है.

अकेलापन तब महसूस नहीं होता, जब आप अकेले होते हो. बल्कि तब महसूस होता है, जब कोई आपकी परवाह (care) नहीं करता.

लोग अच्छी बातों की तुलना में बुरी बातों पर तुरंत विश्वास कर लेते हैं. किसी के बारे में अच्छी बात सुनकर लोग एक बार उस व्यक्ति से उस बारे में पूछने ज़रूर जाते है. लेकिन बुरी बातों पर तुरंत विश्वास कर लेते हैं

अपनी बातों की तरफ़ लोगों का ध्यान खींचने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि अपनी बात की शुरुवात कुछ इस तरह से की जाये : “वैसे मैं ये बताना तो नहीं चाहता था, लेकिन…

यदि आप किसी से बात कर रहे हों और वह इंसान अपना सिर नीचे झुकाए आपकी बात सुन रहा है, तो समझ जायें कि उसे आपकी बातों में कोई रूचि नहीं है. वह तो इसलिए चुपचाप सब सुन रहा है कि कहीं आपको बुरा न लग जाये.

आपको “ना” बोलना आना चाहिए. यदि आप हर समय किसी के काम के लिए “हाँ” कहेंगे, तो वह इंसान आपकी उतनी इज्ज़त नहीं करेगा. लोग उनकी अधिक इज्ज़त करते हैं, जिनकी कुछ सीमायें होती हैं.

माफ़ी मांगने का मतलब यह कतई नहीं है कि आप गलत हैं और दूसरा सही. इसका मतलब यह है कि आपको अपनी “ईगो” से ज्यादा सामने वाले व्यक्ति से संबंध की परवाह है.

भीड़ में अपनी जेब में हाथ डाल लेने वाला व्यक्ति शर्मीले स्वभाव का होता है.

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