इंसान को नज़र क्यों लगती है, और क्या है इसकी हकीकत? जानने के लिए पढ़ें

हम यह बचपन से ही देखते चले आ रहे हैं की लोग अपने छोटे बच्चों के चहरे, हाथ या पैर पर काले रंग का छोटा सा निशान लगा देते हैं, बहुत से लोग बच्चों के और खुद के भी गले, हाथ या पैर में काले रंग का धागा बान्ध देते हैं जिससे की नज़र ना लग सके। इस बात में तो लोगों की एक दूसरे से असहमति हो सकती है की काला रंग इन्सान को नज़र से बचा सकता है या नहीं लेकिन यह बात ज़रूर है कि नज़र का लगना एक सत्य है।

लेकिन दिमाग में यह बात ज़रूर आती है की आखिर नज़र है क्या, और यह क्यों लगती है? दोस्तों दुनियाँ में दो किस्म की उर्जा होती हैं एक तो साकारात्मक उर्जा (यानी पॉजिटिव एनर्जी) और दुसरी नाकारात्मक उर्जा (यानी नेगेटिव एनर्जी)। ईश्वर को हम साकारात्मक उर्जा के रूप में मानते हैं और शैतान या प्रेत आत्माओं को हम नाकारात्मक उर्जा के रूप में मानते हैं।

नज़र का लगना यह एक नाकारात्मक उर्जा का असर होता है जिस वजह से इन्सान के बर्ताव, उसकी सेहत, और उसके कामकाज में काफी बदलाव आता है और इसी बदलाव की वजह से इन्सान को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

हम बचपन से प्रेत आत्माओं के बारे में भी सुनते चले आ रहे हैं कि यह इंसानों को नुक्सान पहुँचाते और डराते हैं और यह इंसानों के दुश्मन होते हैं तो अगर हम इस्लामिक नजरिये से देखें तो यह बात सत्य है। इस्लाम में शैतान को इन्सान का सबसे बड़ा दुश्मन बताया गया है और शैतान इन्सान को कभी सुखी नही देख सकता, यही वजह है कि जब कोई इन्सान किसी दुसरे इन्सान की तारीफ करता है तो शैतान या प्रेत आत्माओं को गुस्सा आता है और जिसकी तारीफ की गयी है उसपर वे अपना नाकारात्मक असर छोड़ देते हैं और उसको परेशान करने लगते हैं।

नज़र क्या होती है और कैसे लगती है यह बात इस लेख के जरिये से हमने आप तक पहुँचाने की कोशिश की है, हम किसी पर अपनी बात को नहीं थोप्ते की लोगों को यह बात सत्य माननी ही पड़ेगी, लेकिन हम यह ज़रूर जानना चाहेंगे की आपका इसपर क्या नजरिया है? तो आप नीचे कॉमेन्ट कर के बता सकते हैं।

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