इस मंदिर में है ‘टाइगरो’ का राज

वैसे तो आप लोगो ने टाइगर सिर्फ जंगलो में या चिड़ियाँ घर में ही देखा होगा पर यहाँ ऐसे ही घूमते नज़र आएगे टाइगर आपको, आम लोग  टाइगर देखते ही घबरा जाते है पर इस मन्दिर में एक अलग ही अनूठा नज़ारा देखने को मिल जाता है कंचनबुरी में यह बौद्ध मंदिर दुनिया का एकमात्र ‘टाइगर टेंपल’ है। 1994 में इस ‘टाइगर टेंपल’ की स्थापना हुई थी। इसे ‘वाट पा लूँग टा बुआ’ के नाम से भी जाना जाता है।

भिक्षुओं के साथ खेलते हुए बड़े होते हैं यहाँ टाइगर

इस मंदिर में 143 रॉयल बंगाल टाइगर रह रहे हैं और सभी बिल्कुल स्वस्थ भी हैं। इस मंदिर में सौ से ज्यादा बौद्ध भिक्षु निवास करते हैं। इस टेंपल में बाघों के बच्चे इन्हीं भिक्षुओं के साथ खेलते हुए बड़े होते हैं।अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है यहाँ बाघों का मनुष्य के साथ खेलना।

खास तरह की ट्रेनिंग दी जाती है

बाघों में हिंसक प्रक्रिया ना हो इसके लिए इन्हें यहां खास तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। 1994 में इस ‘टाइगर टेंपल’ की स्थापना हुई थी। इस टेंपल में बाघ का पहला बच्चा 1999 में जन्मा था।पर उसकी मां शिकारियों के हाथों मारी गई थी।

इन्हें इस मंदिर में रखने का अधिकार दिया गया है अधिकारियो द्वारा

यह टेंपल दुनियाभर के सैलानियों के बीच काफी लोकप्रिय है। यहां आने वाले सैलानी इन बाघों के साथ गले मिलकर तस्वीरें तक खिंचवाते हैं।थाईलैंड नेशनल पार्क डिपार्टमेंट और वाइल्डलाइफ एंड प्लांट कंजर्वेशन के अधिकारियों ने क्लीन चिट दे दी है। क्योकि थाई अधिकारियों ने  खुद इस मंदिर का निरिक्षण कर बताया कि उन्हें बौद्ध मंदिर में बाघों के साथ किसी तरह के बुरे बर्ताव का सबूत नहीं मिला है।

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