उत्तराखंड की ग्राम संस्कृति तथा लोकसंस्कृति के अभिन्न अंग और जल आपूर्ति के परंपरागत प्रमुख साधन ‘नौले’ क्या है? जानिए

नौले जल प्रबंधन का सबसे सरल और सबसे अच्छे साधन हैं नौले उत्तराखंड की ग्राम संस्कृति तथा लोकसंस्कृति के अभिन्न अंग रहे हैं. लेकिन हममें से बहुत से लोग ऐसे हैं जो नौलों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते खासकर नई पीढ़ी के युवावर्ग को इनके बारे में कम ही जानकारी है. जल वितरण की नई व्यवस्था के कारण इन नौलों का प्रचलन अब भले ही बंद हो गया है.

किन्तु जल संकट के समाधान की दृष्टि से इन पुराने नौलों की उपयोगिता आज भी बनी हुई है.नौलों का निर्माण भूमिगत पानी के रास्ते पर गड्डा बनाकर उसके चारों ओर से सीढ़ीदार चिनाई करके किया जाता था. जिनमे जमीन से प्राकर्तिक जल धीरे धीरे संचय होता है जो मिनरल से भरपूर तथा प्रकर्ति से छन कर आता है नौलो का आकार वर्गाकार होता है और इनमें छत होती है तथा कई नौलों में दरवाजे भी बने होते हैं. जिन्हें बेहद कलात्मक ढंग से बनाया जाता था.

इन नौलों की बाहरी दीवारों में देवी-देवताओं के सुंदर चित्र भी बने रहते हैं. ये नौलेवास्तुशिल्प का बेजोड़ नमूना हैं. आज प्रकर्ति के साथ छेड़छाड़ , अत्यधिक खनन , तथा कृतिम जल के साधनों से और भूसंखलं से इनका आस्तीतवव खत्म होने की कगार पर है इन नौलो को पुनर्जीवित करने के लिए हमारे सभी ग्रामवासियों और सरकार को फिर से प्रयास करने होंगे

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