ऋषि मुनि का जादुई वरदान अनोखी कहानी
किसी गांव में भोला और शेखर नाम कर दो व्यक्ति रहते थे। शेखर व्यापारी के काम करता था और वह बहुत धनी और लालची व्यक्ति था ।भोला अपने खेतों में काम करता था जो उससे खेत से प्राप्त होता था । वही उसे खाने में रख लेता था। अपने खेत में शाम सुबह काम करने के बाद जो उसे प्राप्त होता था ।भोला बहुत दयालु व्यक्ति था ।
1 दिन के बाद है ।एक ऋषि मुनि शेखर के घर के सामने आकर खड़ा हो गया और भिक्षा मांगने लगे शेखर अपने घर से निकल कर आया और ऋषि मुनि को बोलने लगा यहां से जाओ भिक्षा नहीं है। ऋषि मुनि आगे चलकर भोले के घर के सामने रुके और जोर से ऋषि मुनि चिल्लाने लगे इतना सुनते हैं। भोला अपने घर से बाहर आया और ऋषि मुनि भोला से बोले कि मुझे जोर से भूख लगा है। कुछ खाने के देती इतना सुनते ही भोला ऋषि मुनि को अपने घर के अंदर ले गए। और ऋषि मुनि को खाने के लिए लेकर आए ऋषि मुनि बोले बेटा मुझे खाने से तुम को कोई आपत्ति तो नहीं है भोला बोला कि आप तो एक बुड्ढे हैं ।और एक ऋषि मुनि है आपका सेवा करना मेरा कर्तव्य है।
ऋषि मुनि भोला से बोले कि बेटा तुमको एक वरदान देना चाहता हूं। भोला एकदम सीधा साधा था। और बोला कि मुझे कोई वरदान नहीं चाहिए। नहीं मांगने के बावजूद भी ऋषि मुनि भोला को एक वरदान दिया भोले की अगर तुमको कोई चीज का भी दिक्कत हो तो आंख बंद कर कर उस याद करना। कुछ दिन के बाद भोला के पास खाने के लिए कुछ नहीं था।
वह शेखर के पास मदद मांगने के लिए गया लेकिन शेखर उसे नहीं दिया भोला को जोर से भूख लगने की वजह से उसे ऋषि मुनि का वरदान याद आ गया और आंख बंद करके वह खाना मागा भोला के संग अनेकों प्रकार के खाने का चीज आ गया शेखर भोला घर आया और देखा के अनेकों प्रकार का खाना खा रहा है।
उसी रात शिखर भोला के घर में आग लगा दिया घर से बाहर निकल कर भोला को दूसरा घर मिल गया। सुबह होते ही शेखर भोला को ना कर देख कर आश्चर्य हो गया और भोला से बोला कि यह कैसे हुआ भोला सारी बात शेखर से बताया की ऋषि मुनि का वरदान से हो रहा है शेखर को बहुत दुख हुआ।