एकमात्र पुत्र होने के क्या लाभ और हानियाँ हैं? पुत्र होना कितना कठिन है?
एकमात्र पुत्र होना और लाभ हानि का हिसाब लगाना एक व्यापारी होना समान है। पुत्र के अपने कर्तव्य है उसे पूरे करने ही होते हैं। हा पैतृक संपत्ति में कोई हिस्सेदार नहीं बस एक ही दावेदार। लेकिन एक सभ्य संस्कारी पुत्र होने के नाते सभी ऋण से उऋण होने के प्रयास करने ही चाहिये।
आपके पास कोई विकल्प नहीं सेवा को किसी को सौपने के…सब आपको ही निभाना है ,सभी रिश्ते आपसे है । आपको एक बड़ी सोच के साथ पुत्र धर्म अदा करना है। मानो तो कठिन है ना मानो तो सरल है। लेकिन आज के दौर में बड़े पारिवारिक नाते रिश्ते में आर्थिक गरीबी एकमात्र पुत्र के लिये भारी पड़ सकती है पर सक्षम परिवार तो चाहकर भी एक पुत्र की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
महगाई के दौर में काफी हद तक यह सही है। एक कहावत भी है ” सुख रा तो सौ भला पर दुख रो एक ही घणो।”
सो बात की एक बात यह है कि पुत्र सपूत है तो एक ही काफी है। कपूत है तो 10 भी किस काम के।