एक पिता का फर्ज,आखे नम कर देने वाली कहानी
जुम्मन चाचा बिजली विभाग के एक कर्मचारी थे। उनकी एक बेटी थी इकरा जिससे की शादी की चिंता जुम्मन चाचा को हर दम लगे रहती थी। वह हरदम बेटी की शादी को लेकर हर किसी से चर्चा करते रहते थे। बहुत खोजबीन के बाद जुम्मन चाचा एक रिश्ता मिला वह अपने परिवार के कुछ सदस्यों के साथ बेटी को लेकर उस घर पहुंचे। जहां पर लड़की लड़के वाले को एक नजर में पसंद आ गई और लड़के के पिता ने कहा शादी हम अगले आने वाले तीसरे महीने की दस तारीख को करेंगे लेकिन हमारी कुछ मांगे हैं हमें नगदी में दो लाख और एक गाड़ी बाकी तो घर गृहस्थी का सामान तो आपको मालूम ही है।
लड़की के पिता ने कहा गाड़ी तक तो ठीक है मगर हम दो लाख रुपए कहां से ला पाएंगे। लड़के के पिता ने कहा भाई हम अपने लिए थोड़े ही मांग रहे हैं शादी के बाद आपकी बेटी कहां रहेगी उसके लिए बाद मे घर भी तो बनवाना पड़ेगा। जुम्मन चाचा अब अपने घर आ चुका था वह सोच सोचकर परेशान था की आखिर इतना सारा पैसा कहां से आयेगा क्या करना पड़ेगा रात भर जुम्मन चाचा को नींद नहीं आई बेटी की शादी के लिए वह किस तरह से दो लाख का इंतजाम करेंगे इसकी चिंता में वह हरदम खोये रहते थे। धीरे धीरे वह समय भी करीब आ चुका था शादी के लिए केवल दस दिन ही बचे थे। लड़के वालों ने कार्ड तक छपवाकर बटवा चुके थे। इधर जुम्मन चाचा ने भी कार्ड छपवाकर अपने आस पड़ोस और रिश्तेदारों में कार्ड बांटे।
अब जुम्मन चाचा ने दो लाख रुपए इंतजाम करने का रास्ता ढूंढ लिया था। उन्होंने अपनी पत्नी से कहा मैंने बीमा करवा रखा है अगर मुझे कुछ हो जाता है तो तुम्हें पैसे मिलेंगे इतना कहकर वह चुप हो गये। उनकी पत्नी ने कहा ऐसा नहीं कहते जी ऊपर वाला कोई न कोई राह जरुर दिखायेगा। दूसरे दिन जुम्मन चाचा बिजली बनाने के लिए खंभे पर चढ़े हुए थे और उन्होंने खंभे के खुले तारो को अपने हाथों से पकड़ लिया कुछ मिनट के बाद जब वह गिरे तो उनकी मौत हो चुकी थी। कुछ कागजी कार्रवाई के बाद बेंको के चक्कर काटने के बाद जुम्मन चाचा की पत्नी को पैसे मिल गये। लेकिन वह दुखी थी वह जानती थी यह सब उनके पति ने जानबूझ कर किया है जिससे की बेटी की शादी किसी तरह से हो सके। कुछ दिन के बाद बेटी की शादी तो हुई लेकिन बेटी को गले लगाकर विदा करने वाला पिता नही था।