ऐसा कौन सा जानवर है जो बच्चा नहीं देता है? जानिए उसका नाम

जीवधारियों का एक प्रकृति प्रदत्त गुण होता है कि वे वंशवृद्धि कर संतान के रूप में अपने डीएनए को संरक्षित रखें। यह संतान उत्पत्ति दो प्रकार से होती हैं, (1) एसेक्चुअल यानी बिना संभोग द्वारा, व (2) सेक्चुअल यानी संभोग द्वारा।

एसेक्चुअल रिप्रोडक्शन में बच्चे जनने जैसी कोई क्रिया नहीं होती है। कोशिका का विभाजन होता है और जीव का एक स्वतंत्र रूप तैयार हो जाता है। अपनी माता की तरह यह स्वतंत्र रूप से जीने, श्वसन, भोजन लेने और पुनः रिप्रोडक्शन के लिए सक्षम होता है। इसके अनेक उदाहरण हैं।अधिकांश सूक्ष्म और एक कोशिकीय जीव जैसे अमीबा आदि। इन्हें बच्चे ना जनने वाले जीव कहा जा सकता हैं।

सेक्चुअल रिप्रोडक्शन में बच्चे देने के तीन तरीके होते हैं, (1) सीधे बच्चे जनने वाले या viviparous जैसे मनुष्य, चौपाये आदि; (2) अंडे देने वाले oviparous जैसे पक्षी, कीट, सरीसृप आदि; तथा (3) जिनके अंडे गर्भनाल में ही फूट जाते है और ऐसा प्रतीत होता है कि वे बच्चे जन रहे हैं। इन्हें vivo-viviparous जीव कहते हैं और इसका उदाहरण है माहू जैसे कीट जिन्हें जीवन जीने की बहुत जल्दी होती है।

अतः सभी वोविपैरस जीव जिनकी एक लंबी लिस्ट है, बच्चे देने के बजाय अंडे देते हैं। कुछ काल बाद इन्हीं अंडों से बच्चे निकलते हैं।

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