ओलम्पिक में पहली बार हॉकी कब खेला गया? जानिए
यदि आप फील्ड हॉकी की बात कर रहे है तो ओलिंपिक खेलो में हॉकी सर्वप्रथम १९०८ में लंदन में हुए ग्रीष्मकालीन खेलो के दौरान खेला गया था। उस समय पुरुष वर्ग के लिए ही प्रतियोगिता की गयी थी, इस संस्करण में ग्रेट ब्रिटैन के अंगीकृत चारो राष्ट्र, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, आयरलैंड एवं वेल्स के साथ फ्रांस और जर्मनी की टीमों ने ही हिस्सा लिया था। इंग्लैंड ने आयरलैंड को ८-१ से हराकर स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता था वही स्कॉटलैंड और वेल्स को कांस्य पदक दिए गए थे। महिलाओ के लिए इस खेल में पदार्पण १९८० के मॉस्को में हुए खेलो के दौरान हुआ था।
भारत सहित ऑस्ट्रिया, चेकोस्लोवाकिआ, सोवियत संघ और ज़िम्बाब्वे की टीमों ने हिस्सा लिया था। पदक विजेता पूल मैच के रिजल्ट के आधार पे चुने गए थे और ज़िम्बाब्वे की टीम महिला वर्ग की सर्वप्रथम ओलिंपिक विजेता बानी थी, चेकोस्लोवाकिआ और सोवियत संघ की टीमों को रजत और कांस्य पदक मिला था, भारत की महिला टीम चौथे स्थान पर रही थी।
आइस हॉकी को १९२० के ऐंटवर्प में हुए ग्रीष्कालीन खेलो के दौरान शामिल किया गया था, जिसमे सिर्फ पुरुष वर्ग के ही मुक़ाबले हुए थे। बेल्जियम, कनाडा, चेकोस्लोवाकिआ, फ्रांस, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका के टीमों ने इस संस्करण में हिस्सा लिया था, इस संस्करण की दिलचस्प बात यह थी की कनाडा ने विंनिंपग फलकोंस नाम के अमेच्योर क्लब को देश का प्रतिनिधित्व करने भेजा था जिन्होंने बाद में स्वर्ण पदक भी अपने नाम किया, संयुक्त राज्य अमेरिका और चेकोस्लोवाकिआ की टीमों ने रजत और कांस्य पदक जीते थे।
आइस हॉकी पहली बार शीतकालीन खेलो में १९२४ में फ्रांस के शेमोनी शहर में हुए संस्करण में खेली गयी थी। इस संस्करण में भी सिर्फ पुरुषो के मुक़ाबले हुए थे, बेल्जियम कनाडा, चेकोस्लोवाकिआ, ग्रेट ब्रिटैन, फ्रांस, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका ने इन खेलो में शिरकत की थी। कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं ग्रेट ब्रिटैन ने क्रमशः स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक जीते थे।
महिलाओ के लिए सर्वप्रथम प्रतियोगिता १९९८ में जापान में हुए शीतकालीन खेलो के दौरान की गयी थी। मेजबान जापान सहित, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, चीन, स्वीडन और फ़िनलैंड की टीमों ने शिरकत की थी। संयुक्त राज्य अमेरिका ने कनाडा को ३-१ से हराकर स्वर्ण पदक जीत था, प्रतियोगिता का कांस्य फ़िनलैंड ने चीन को ४-१ से हराकर अपने नाम किया था।