“कत्था” क्या होता है? जानिए
कत्था एक खैर नामक पेड की टहनियों व लकडी से निकाला गया सत्व होता है।
जानिऐ विस्तार से –
कत्था, खैर के वृक्ष की लकड़ी से निकाला जाता है। इसका वृक्ष काफी बड़ा होता है और लगभग पूरे भारत में से पाया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के खैर शहर मे इसकी अधिक मात्रा पाये जाने के कारण इसका नाम खैर पड़ा।
खैर बबूल की प्रजाति का ही पेड़ है। इसकी टहनियां पतली व सीकों के जुड़ी होती हैं, जिसमें छोटे-छोटे पत्ते लगते हैं। कत्थे की टहनियां कांटेदार होती हैं। इसके फूल छोटे व सफेद या हल्के पीले रंग के होते हैं। पेड़ की छाल आधे से पौन इंच मोटी होती है और यह बाहर से काली भूरी रंग की और अंदर से भूरी रंग की होती है।
जब इसके पेड़ के तने लगभग एक फुट मोटे हो जाते हैं तब इसे काटकर छोटे-छोटे टुकडों (चिप्स) मे काट कर गर्म पानी में 2–3 घंटे पकाया जाता है।
फिर इस घोल को छान और पकाते हैं। यह कार्य दो बार किया जाता है। गाढा होने के बाद इस घोल को चौकोर ट्रे में सुखाया जाता है और वहीं इसे बर्फी जैसे चौकोर टुकड़ों में काट लिया जाता है। इसे ही कत्था कहते हैं।
पान की दुकान वाले इसे किसी बर्तन में रखकर पानी के साथ मिलाते हैं और फिर पान के पत्तों पर चूने के साथ लगा कर बीडा बना कर परोसते हैं।
कत्था निकाल चुकी लकडी की चिप्स भी चमडा उद्योग मे काम आती हैं।