कबीर दास की मृत्यु कैसे हुई? जानिए सच

कबीर साहेब जी 120 वर्ष काशी में रहे और अंत समय मगहर से सशरीर सतलोक गमन किया । ऐसा करने के कई कारण थे आइए विस्तार से जानते हैं.

काशी के कर्मकांड़ी पंडितों ने यह धारणा फैला रखी थी कि जो मगहर में मरेगा वह गधा बनेगा और जो काशी में मरेगा वह सीधा स्वर्ग जाएगा।

इस गलत धारणा को कबीर परमेश्वर लोगों के दिमाग से निकालना चाहते थे। वह लोगों को बताना चाहते थे कि धरती के भरोसे ना रहें क्योंकि मथुरा में रहने से भी कृष्ण जी की मुक्ति नहीं हुई। उसी धरती पर कंस जैसे राजा भी डावांडोल रहे।

मुक्ति खेत मथुरा पूरी और किन्हा कृष्ण कलोल,और कंस केस चानौर से वहां फिरते डावांडोल।

इसी प्रकार हर किसी को अपने कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नरक मिलता है चाहे वह कहीं भी रहे। अच्छे कर्म करने वाला स्वर्ग प्राप्त करता है और बुरे, नीच काम करने वाला नरक भोगता है, चाहे वह कहीं भी प्राण त्यागे, वह दुर्गति को ही प्राप्त होगा।

इसी कारण से मगहर से सशरीर सतलोक गमन किया।

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