करवा चौथ के दिन उल्लू की पूजा क्यों की जाती हैं? जानिए

इस दिन का शादीशुदा स्त्रियों को बड़ी उत्सुकता से इंतजार रहता है । इसे करवाचौथ के नाम से जाना जाता है, इस दिन महिलाएं निर्जला बिना खाये पिये, भूखे प्यासे रहकर अपने पति की लम्बी उम्र के लिए उपवास रखती है । लेकिन ये बाद शायद कम ही लोग जानते होंगे की करवा चौथ के दिन माता लक्ष्मी के वाहन उल्लू की भी पूजा की जाती, और ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन उल्लू की पूजा से माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हो जाती हैं । जाने करवा चौथ के दिन क्यों की जाती हैं उल्लू पूजा और उसका महत्त्व ।

एक प्राचीन कथा के अनुसार एक बार महालक्ष्मी जी कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन यानी की दीपावली पर्व के दिन पृथ्वीलोक में अपने प्रिय भक्तों के घर आशीर्वाद देने के लिए स्वर्ग लोक से आई.. माता लक्ष्मी इधर से उधर, एक भक्त के घर से दूसरे भक्त के घर, फिर तीसरे फिर चौथे, बारी-बारी सभी भक्तों के घर जा रही थी और सभी भक्त के ऊपर अपने आशीर्वाद की वर्षा करते जा रही थी । भक्त भी बड़े तन, मन और धन से मां लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना में लीन थे, श्रद्धा पूर्वक माता महालक्ष्मी जी की वंदना व आरती गाई जा रही थी, मां लक्ष्मी जी भी खुश होकर धन धान्य पूर्ति का आशीर्वाद दे रही थी ।

माता लक्ष्मी ने दिया था उल्लू को यह आशीर्वाद

भक्तों द्वारा माता लक्ष्मी जी की इस प्रकार पूजा अर्चना होते देख माता के वाहन उल्लू को बहुत दुख हुआ, और उल्लू के मन में विचार आया की वह स्वयं माता महालक्ष्मी जी का वाहन है फिर भी उसे कोई पूछता तक नहीं है । दुखी मन उल्लू ने मां लक्ष्मी जी निवदेन किया की मां आपकी पूजा सब करते हैं, और मैं आपका वाहन होने के बाद भी दुत्कारा जाता हूं, मेरी इस पीड़ा का समाधान करे माता । माता महालक्ष्मी जी सारी बात समझ गई, बोली हे पूत्र आज मै तुझे यह वरदान देती हूं की आज के बाद हर साल मेरी पूजा यानी की दीपावली से ठीक 11 दिन पहले तुम्हारी भी पूजा होगी, और जो कोई तुम्हारी पूजा करेगा वर भक्त मेरी कृपा का अधिकारी हो जायेगा ।

तभी से दिवाली के ठीक 11 दिन पहले ‘करवा चौथ’ पूजा में उल्लू की भी पूजा की जाती हैं । ऐसी मान्यता हैं कि अगर उल्लू प्रसन्न हो जाये तो माता लक्ष्मी से मिलाने का कार्य उल्लू शीघ्र कर देता हैं । आज के जमाने में उल्लू तो आसानी से मिलते नहीं, एक पूजा सुपारी को उल्लू का प्रतीक बनाकर उसकी पूजा भी की जाती हैं ।

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