कर्ण का वो पुत्र कौन था, जो महाभारत के युद्ध के बाद भी जिंदा रहा?

महाभारत युद्ध में कर्ण के 9 पुत्र थे जिनमें से एक पुत्र को पितामह भीष्म जी ने इसलिए युद्ध करने से मना कर दिया क्योंकि कर्ण का पुत्र वृषकेतु मात्र 14 वर्ष का था । भीष्म जी ने कम उम्र के इस योद्धा को भाग नहीं लेने दिया । कर्ण पुत्र वृषकेतु को आग्नेय अस्त्र, बहास्त्र, आदि अस्त्र का ज्ञान था।

महाभारत युद्ध के बाद अपने भाई और पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए अर्जुन से युद्ध करने की इच्छा रखते थे पर युधिष्ठिर ने इन्हें पुत्र समान माना और अभिमन्यु जितना ही प्रेम किया तब वृषकेतु ने भी युधिष्ठिर और पांडव के साथ मिलकर उनसे स्नेह करने लगा और अर्जुन ने उसे महास्त्रो का ज्ञान भी प्रदान किया।

कर्ण ने दुर्योधन को चक्रवर्ती सम्राट बनाने में सहायता की ठीक उसी प्रकार वृषकेतु ने अर्जुन के साथ मिलकर युधिष्ठिर को चक्रवर्ती सम्राट बनाने में सहायता की। भगवान कृष्ण ने वृषकेतु से वचन लिया की यह महास्त्रो का ज्ञान किसी और को न सिखाने का वचन लिया ताकि आने वाले युग कलयुग को इस ज्ञान को न प्राप्त कर सकें । वृषकेतु की मृत्यु के पश्चात यह ज्ञान पूरी तरह से विलुप्त हो गया।

कर्ण पुत्र वृषकेतु में कर्ण की ही तरह तेज और धनुर्धर कौशल था। कुंती को जब महाभारत युद्ध के पश्चात् युधिष्ठिर ने त्याग दिया तब वृषकेतु ने कुंती की सेवा की वृषकेतु को देखकर कुंती रोया करती थी क्योंकि वृषसेन उसे कर्ण की याद दिलाते थे क्योंकि वृषकेतु बिल्कुल कर्ण की तरह ही दिखते थे।

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