किसी भाषा को समझना आसान है लेकिन उसे बोलना कठिन? जानिए क्यों

क्या आपने कभी सोचा है कि आप किसी नई भाषा को समझ तो पाते हैं लेकिन उस भाषा को बोलने में सक्षम नहीं हो पाते हैं ? इसके पीछे की घटना को ‘ग्रहणशील द्विभाषी’ (वह व्यक्ति जिसके पास एक भाषा में बोलने और समझने की नॉलेज हैं लेकिन वह दूसरी कोई और भाषा नहीं बोलता हैं ) के रूप में भी जाना जाता है।

मैं आपको बता दूं कि निष्क्रिय वक्ता वे होते हैं जो एक भाषा के संपर्क में आ जाते हैं जो इसे अच्छी तरह से समझने के लिए पर्याप्त है लेकिन उन्हें वो भाषा बोलने नहीं आती हैं । यह तब हो सकता है जब लोग अपने घर के बाहर एक भाषा सुनकर बड़े होते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें कोई औपचारिक शिक्षा नहीं दे जाती है।

मुख्य कारण यह है कि जब आप किसी अपरिचित भाषा के शब्दों को उस विशेष भाषा के अपने ज्ञान का उपयोग करके अनुवाद कर सकते हैं, लेकिन वास्तव में आप अपनी शब्दावली में उस शब्द को बोलने के लिए सही या उपयुक्त शब्द ढूंढ नहीं पाते हैं । और इसलिए, आप उस भाषा में उतनी आसानी से नहीं बोल सकते हैं, जितनी आसानी से आप उसे समझ सकते हैं। इसलिए, केवल समझने के बजाय किसी भाषा को पुन: पेश करना सीखना ही एकमात्र सही तरीका है।

आपको बता दूं कि जब हम एक अलग भाषा में हो रही बातचीत को समझने ’की कोशिश करते हैं तो आप मूल रूप से जो कुछ कहा जा रहा है, उसके वास्तविक अर्थ को ही समझ पाते हैं, लेकिन हर एक वाक्य के शब्द का अर्थ नहीं समझ पाते हैं । आपकी जानकारी के लिए मैं आपको बता दूं कि भाषा सम्पूर्ण रूप में, हमारे मस्तिष्क के एक विशेष क्षेत्र द्वारा नियंत्रित की जाती है, लेकिन सुनने / समझने और बोलने की गतिबिधि मस्तिष्क के अलग-अलग क्षेत्रों द्वारा नियंत्रित की जाती है।

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