किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसके कपड़े और बिस्तर बहार फेंक दिए जाते हैं, फिर उसके गहने व कमाए हुए रुपए क्यों नहीं फेंकते? जानिए सच

ऐसा हर जगह और हर बार नहीं होता। ज्यादातर मृतक के बीमारी की स्थिति में मृत्यु होने पर, बिस्तर की चादर, तकिया खोल और ओढ़ने की चादर या शाल इत्यादि के साथ उसके पहने हुए कपड़े भी बाहर बंडल बांध कर रख दिये जाते हैं या श्मशान घाट में छोड़ कर आ जाते हैं। इसके पीछे शायद संक्रमण मुक्ति प्रमुख कारण है।

अस्पताल के अंदर मृत्यु होने पर, बेड की चादर और तकिया खोल ही निकालकर ले जाते हैं। कभी कभी या कहीं कहीं थोड़ी देर के लिए पूरे पलँग को ही उस वार्ड से हटा दिया जाता है और तेज धूप में गद्दा इत्यादि सुखाकर फिर उपयोग में लाया जाता है। आजकल तो सेनिटाइज़ करने का चलन बहुत बढ़ गया है।

एक्सीडेंट या कोरोना से मृत्यु के मामले में पोस्टमार्टम के बाद तो घर के अंदर प्रवेश ही नही कराया जाता है।

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अंतिम समय में वैसे भी उनकी जेबीन में पैसे और शरीर पर आभूषण नहीं बचते हैं। सब ‘अपनो’ में वितरित हो जाते हैं।

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