कुंडली में पितृ दोष क्या होता है? इसका निर्वाण कैसे किया जाता है?

कुंडली में पितृ दोष का होना सबसे बड़ा दोष माना जाता है। क्योंकि इसके कारण व्यक्ति अपने पूर्वजों के कृपा प्रसाद से वंचित हो जाता है और पितरों का कोप होने के कारण शिक्षा, करियर, विवाह व संतान सुख में बाधा उत्पन्न होती है। ऐसा माना जाता है कि जातक द्वारा पूर्वजन्म में विशेष पाप कर्मों के किये जाने से जातक के जो संबंधी पीड़ित होते हैं उनका इस जन्म में रोष झेलना पड़ता है।

कुंडली में पंचम भाव से पूर्व जन्मार्जित पाप व पुण्य कर्मों का लेखा-जोखा मिलता है। शनि भी पूर्व जन्मार्जित पाप कर्मों का प्रतिनिधित्व करता है। केतु की स्थिति से भी पूर्व जन्म का विचार किया जाता है। इसके अतिरिक्त पंचम भाव का कारक ग्रह गुरु होता है। अतः पंचम भाव, पंचमेश, पंचम के कारक गुरु, केतु व शनि की शुभ स्थिति यह स्पष्ट करती है कि आपने पूर्व जन्म में कितने पुण्य कमाएं हैं। जबकि इसके विपरीत इन सभी के अशुभ होने से यह स्पष्ट होता है कि आप ने पूर्व जन्म में बहुत से पाप कर्म किये हैं जिसका बुरा फल आपको उन आत्माओं के कोप द्वारा पहुंचाया जायेगा जिन्हें आपने मन, वचन व कर्म से पीड़ित किया है।

यदि पंचम भाव का स्वामी सूर्य पीड़ित है अर्थात नीच, शत्रुक्षेत्री व पाप ग्रहों से युक्त व दृष्ट होकर अशुभ भाव में बैठा है तो पिता, राजा अथवा अधिकारी के विरूद्ध किया गया पाप कर्म इस जन्म में आपको जीवन में बाधाएं उत्पन्न करेगा।
यदि पंचम भाव का स्वामी चंद्रमा पीड़ित है अर्थात नीच, शत्रुक्षेत्री व पाप ग्रहों से युक्त व दृष्ट होकर अशुभ भाव में बैठा है तो माता अथवा मातृ तुल्य महिला के विरूद्ध पूर्व जन्म में किया गया पाप कर्म इस जन्म में आपको जीवन में बाधाएं उत्पन्न करेगा।
यदि पंचम भाव का स्वामी मंगल पीड़ित है अर्थात नीच, शत्रुक्षेत्री व पाप ग्रहों से युक्त व दृष्ट होकर अशुभ भाव में बैठा है तो भाई अथवा भाई तुल्य संबंधी के विरूद्ध पूर्व जन्म में किया गया पाप कर्म इस जन्म में आपको जीवन में बाधाएं उत्पन्न करेगा।
यदि पंचम भाव का स्वामी बुध पीड़ित है अर्थात नीच, शत्रुक्षेत्री व पाप ग्रहों से युक्त व दृष्ट होकर अशुभ भाव में बैठा है तो बहन, चाची, मामी, मौसी अथवा मामा के विरूद्ध पूर्व जन्म में किया गया पाप कर्म इस जन्म में आपको जीवन में बाधाएं उत्पन्न करेगा।
यदि पंचम भाव का स्वामी वृहस्पति पीड़ित है अर्थात नीच, शत्रुक्षेत्री व पाप ग्रहों से युक्त व दृष्ट होकर अशुभ भाव में बैठा है तो गुरु, पितामह, ब्राह्मण अथवा किसी की संतान आदि के विरूद्ध पूर्व जन्म में किया गया पाप कर्म इस जन्म में आपको जीवन में बाधाएं उत्पन्न करेगा।
यदि पंचम भाव का स्वामी शुक्र पीड़ित है अर्थात नीच, शत्रुक्षेत्री व पाप ग्रहों से युक्त व दृष्ट होकर अशुभ भाव में बैठा है तो प्रेमिका, पत्नी आदि के विरूद्ध पूर्व जन्म में किया गया पाप कर्म इस जन्म में आपको जीवन में बाधाएं उत्पन्न करेगा।
यदि पंचम भाव का स्वामी शनि पीड़ित है अर्थात नीच, शत्रुक्षेत्री व पाप ग्रहों से युक्त व दृष्ट होकर अशुभ भाव में बैठा है तो दबे-कुचले, निर्बल, दीन-हीन व नौकर आदि के विरूद्ध पूर्व जन्म में किया गया पाप कर्म इस जन्म में आपको जीवन में बाधाएं उत्पन्न करेगा।
पितृ दोष से युक्त जोड़े को संतान प्राप्ति में बेहद कठिनाई होती है। गर्भ ठहरने के बाद लगातार गर्भपात की समस्या आने पर इस दोष पर विचार कर लेना चाहिए।

पितृ दोष से मुक्ति के कुछ विशेष उपाय

इस दोष से मुक्ति के लिए पितृ पक्ष में पित्ररों को पिण्ड दान और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

श्रीमद्भगवद् गीता का पाठ करना चाहिए।
मोक्ष गायत्री का सवा लाख जप व हवन कराएं।
त्रिपिंडी श्राद्ध कराएं।
पीपल के पेड पर जल, पुष्प, दूध, गंगाजल, काला तिल चढ़ाकर अपने स्वर्गीय परिजनों को याद कर उनसे माफी और आशीष मांगना चाहिए।
रविवार के दिन गाय को गुड़ या गेंहू खिलाना चाहिए।

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