कुबेर कौन है? जानिए उनके बारे में

यक्षों के राजा कुबेर धन के स्वामी हैं और उत्तर दिशा के दिकपाल हैं। संसार के रक्षक लोकपाल भी हैं। वह रावण, कुंभकर्ण और विभीषण के सौतेले भाई हैं, लेकिन ब्राह्मण गुणों के कारण कुबेर देवता बनाए गए। धन के देवता कुबेर को भगवान शिव का द्वारपाल भी बताया जाता है।

कुबेर सुख-समृद्धि और धन देने वाले देवता हैं। उन्हें देवताओं का कोषाध्यक्ष माना गया है। मान्यता है कि कुबेर देवता की मूर्ति घर में लाने से सदैव परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है। कुबेर देवता का निवास उत्तर दिशा की ओर माना गया है। इनकी मूर्ति को उत्तर दिशा की ओर ही रखना चाहिए।

कुबेर देवता ने रावण के अत्याचारों को देखते हुए अपने दूत को रावण के पास भेजा। इस पर रावण ने क्रुद्ध होकर उस दूत को अपनी खड्ग से काट दिया। इस पर रावण और कुबेर के बीच युद्ध हुआ। यक्ष बल से लड़ते और राक्षस माया से। आखिरकार राक्षस विजयी हुए और रावण ने कुबेर देवता से उनका पुष्पक विमान छीन लिया।

रामायण काल में कुबेर देव ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर्वत पर तप किया। उन्हें भगवान शिव, माता पार्वती दिखाई दिए लेकिन जब उन्होंने सात्विक भाव से माता पार्वती की ओर बाएं नेत्र से देखा तो माता पार्वती के दिव्य तेज से यह नेत्र भस्म होकर पीला पड़ गया। भगवान शिव ने कहा, तुमने मुझे तपस्या से जीत लिया है। तुम्हारा एक नेत्र पार्वती के तेज से नष्ट हो गया, अत: तुम एकाक्षीपिंगल कहलाओगे।

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