कृत्या किसे कहते हैं और ये कितने खतरनाक होते हैं? जानिए सच

कृत्या एकप्रबलतम् मानसिक शक्ति है यह उन लोगों में पाई जाती है जो अपने मन के अवचेतन मन से परे के सुपर चेतन मन से इस संसार में जीते हैं ।। कृत्या का उपयोग प्राय हिंसक या अहिंसक कार्य सहायक कार्य साधक उच्च कोटि के तांत्रिक या विशेष आध्यात्मिक लोग साध विशेष इच्छा पूरी करने वाला वैचारिक कृति /निर्माण पुरुष , स्त्री , या पशु सांड /बिजार , सांप ,सूअर , बिच्छू ,ततैया बनाने में होता है जो शत्रुओं को मारने परेशान करने में काम आते है ।कृत्या वही लोग बना कर चला सकता है । जिन साधक लोगों की उच्च मानसिक ऊर्जा प्रक्षेपण क्षमता होती है

वे अपनी उच्च मानसिक ऊर्जा प्रक्षेपण क्षमता से अपने या अपने प्रिय जन की इच्छा पूरी करने के लिए #$ उसके इच्छा बाधक मनुष्य को तांत्रिक शक्ति क्रियाओं से मारने के लिए उसे स्थान परिवर्तन के लिए मजबूर करने के लिए भगाने के लिए शत्रुओं के मन मं भय डालने के लिए मिट्टी की छोटी सी हांडी को (मलसिया को) अपनी तंत्र मंत्र की शक्ति से वायु नियमों की अवहेलना करते हुए उस मिट्टी के पात्र हांडी से पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल हटाकर उस मिट्टी के पात्र को भारहीन कर दिया करते हैं फिर उस मिट्टी की भारहीन हांडी में दुश्मन को मन कमजोर करने वाली या दुश्मन को डराने वाली वस्तुओं जैसे मांस रक्त वीर्य काले तिल ,काली दाल ,काली मिर्च ,हांडी में धरके वायु मार्ग से दुश्मन के ऊपर भेजते हैं जो जब जैसे ही दुश्मन खुले में आ जाता है तो वह तांत्रिक पात्र हांडी दुश्मन के ऊपर उसके सिर पर गिर जाती है । जिससे दुश्मन भयभीत होकर बुरी तरह से डरकर तुरंत मर जाता है या आठ दिन के भीतर दर्द दर्द चिल्लाते हुए मर जाता है ।

मेरे नाना पंडित किशोरीलाल शर्मा के पिताजी पंडित रामलाल शर्मा को पहले और उसके बाद उनके बड़े पुत्र को इसी तंत्र विधा की तांंत्रिक क्रिया मूँठ चलाकर अब से १२० वर्ष पूर्व सन्1900के लगभग गांव दौलतपुर कलां थाना नरसैना जिला बुलंदशहर में मारा गया था ।मेरे नानाजी उन दिनों नाबालिग थे जिन्हें उनकी मां डरकर गांव दौलतपुर को छोड़कर अपने पैतृक गांव चली गई थी नानाजी का पालन पोषण परवरिश उनकी नंनिहाल /नंनसार में हुई थी जो बड़े होते ही दौलतपुर आ गए उन पर भी कृत्या से प्रहार किया गया जो उन्होंने अपनी तंत्र विद्या तंत्र शक्ति से निषफल कर दिया था वे अपने आगामी जीवन रक्षण के लिए तंत्र विद्या सीखने के लिए पहले बंगाल गये फिर सिंध हैदराबाद गये थे ।

उन दिनों सिंध प्रांत भारत का एक प्रांत हुआ करता था जो बाद में देश विभाजन के समय में पाकिस्तान में चला गया वर्तमान में यह स्थान पाकिस्तान के दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र में पड़ता है ।यह वृत्तांत मेरी माँ त्रिवेणी ने बताया था । उन्होंने ने बताया कि उन्हें यह वृत्तांत उनके पिता से सुना है।जो हंडिया उनके बाबा पर चलाई गई थी वह उनके घर के ऊपर लगातार दो दिन गोल गोल चक्कर लगाती रही थी कभी वह गोलाई में पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण घूमती थी तो कभी कभार मेरे नाना के पिताजी को देखने के लिए ऊपर नीचे गोलाई में चक्कर लगाकर दरवाजे पर आकर वापस आसमान में चली जाती थी। उसे सभी लोग ग्राम वासी आश्चर्य से देखते रहते थे । दो दिन बाद तीसरे दिन प्रातःकाल में वह हंडिया कुछ समय के लिए घरों से दूर जाकर गायब हो गई तो लोगों ने नाना के पिताजी को बताया कि रामलाल अब डरने की जरूरत नहीं है हंडिया भेजने वाले के पास चली गई है।

उसने हंडिया भेजने चलाने वाले दोनों को मार दिया होगा ।अब तुम बेफिक्र से अपने काम में लग जाओ ।रामलाल बेफिक्री से नाली पर बैठकर पेशाब कर ही रहे थे कि इतने में लोगों ने शोर मचाना शुरू कर दिया तब तक नाना के पिताजी कुछ समझ पाते । जल्दी से दौड़कर घर में घुस पाते कि इतनी सी देरी के समय में हंडिया रामलाल के सिर पर गिरी तभी फुर्ती से वे अपना सिर तो बचा गयें लेकिन हंडिया उनके कंधे पर गिरी और फूट गई ।उनके कंधे से दूसरे कंधे में सिर में पैरों में दर्द होना शुरू हो गया और दो दिन बाद वे दर्द दर्द चिल्लाते कराहते हुए मर गए थे।एक महीने बाद नाना के बड़े भाइ को भी उसी हंडिया तकनीकी से मार दिया गया था।

यह हंडिया या कृत्याका कारक पिशाच जिन अपने निर्माता का पूरी तरह से गुलाम होता है जो अलादीन के चिराग का जिंन की तरह हिंसक कार्य करने में उच्च मानसिक क्षमता वाले लोगों के द्वारा अपने से अधिक बलवान शत्रु के नाश करने/मारने के लिए बनाया जाता है । यह सिद्ध पुरुषों के द्वारा बनाया जा सकता है ।इस कृत्या /यातुधानी /अगिया बेताल /मूंठ को बनाना चलाने का कार्य सिद्ध तांत्रिक लोग करें तो ठीक है अन्यथा नौसिखिए /नये नये तांत्रिक लोगों के प्रयोग करने पर अक्सर तांत्रिक लोग भी अपनी बनाई गई कृत्या द्वारा कम मानसिक शक्ति होने पर भय मानते ही अपनी कृत्या के द्वारा जाता है या पागल हो जाता है ।

कृत्या सिखते समय मेरा एक पड़ौसी भर्रा रोग की चपेट में आ गया था ।उसने बताया था कि उसने हंडिया घुमाना सीख लिया था अब जब हंडिया कृत्याका चलाना सीख रहा था उसने हंडिया जमीन से उठाकर घुटनों तक ले आया था उसने हंडिया को घुटनों से ऊपर उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन हंडिया उस पर घुटनों से ऊपर नहीं उठकर चल पाई थी ।तभी उसके गुरु ने उसे रोक दिया था और चेतावनी दी थी कि वह भविष्य में इसका अभ्यास न करें ।उसकी विद्या पात्रता परीक्षा में कमी है। .

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