क्या अविवाहित लोगों का श्राद्ध करना चाहिए
श्राद्ध जिनका भी अग्नि से अंतिम संस्कार किया गया है उनका किया जाता है। अतः अविवाहित व्यक्ति का भी श्राद्ध किया जा सकता है।
जिन व्यक्तियों को हिन्दू धर्म मे दफनाया जाता है उनका श्राद्ध नही किया जाता है। उसी अनुसार छोटे वच्चों को दफनाया जाता है।
हिन्दुओं में छोटे बच्चों को क्यों दफनाया जाता है
हिंदुओं में आमतौर पर दफन नहीं जाता हैं. हिंदू धर्म में आग आध्यात्मिक दुनिया के लिए एक पवित्र प्रवेश द्वार मानी जाती है.शरीर का दाह संस्कार व्यक्ति की मृत्यु के छह घंटे के भीतर होता हैं !
हिन्दू धर्मं में माना जाता है कि अंतिम संस्कार क्रिया शरीर से अलगाव का एक रूप है जब इसे जला दिया जाता है तो आत्मा के पास कोई लगाव नहीं रहता और इसलिए इसे अग्नि द्वारा मुक्त किया जा सकता है. लेकिन, बच्चों के लिए, जिन्होंने ज्यादा जीवन नहीं जिया है उनकी आत्मा को , अपने शरीर से कोई लगाव नहीं होता है !
हिंदुओं आम तौर पर मृत शव का दाह संस्कार करते है . लेकिन वहाँ अपवाद हैं: संतों, पवित्र पुरुषों और बच्चों के शवों को दफन भी करते हैं. ये क्रिया हिंदू धर्म से संबंधित दो मौलिक सिद्धांतों पर आधारित हैं.—
आत्मा की स्थानांतरगमन और पुनर्जन्म में विश्वास
गीता का कहना है: “जैसे हम पुराने कपड़ों को छोड़कर नए कपडे धारण करते है , वैसे मृत्यु के बाद आत्मा शरीर छोड़ देती है और एक नया शरीर में प्रवेश करती है.”
हिंदुओं का मानना है कि शरीर जलाते है और इसे नष्ट करते है ,तो इससे दिवंगत आत्मा पर किसी भी अवशिष्ट शरीर से लगाव मिट जाता है !
पवित्र पुरुषों और संतों को कमल स्थिति (पद्मासन ) में दफन किया जाता है ! माना जाता है – धर्मपरायणता, तपस्या, कठोर आध्यात्मिक प्रशिक्षण, के माध्यम से वो अपने शरीर की सभी इन्द्रियों से मुक्ति पा लेते है ! इस स्थिति में अंतिम संस्कार बेमानी बना देता है.
बच्चे, की आत्मा उनके शरीर से लंबे समय के लिए कोई लगाव विकसित नहीं होता इसलिए उन्हें दफ़न किया जाता है !
अंतिम संस्कार में मृत शरीर पंचतत्व में विलीन होता है ….
मृत शरीर को पृथिवी (क्षिति) पर रखकर वायु के द्वारा शुन्य के साथ अग्नि को समर्पित किया जाता है ! और फिर इसकी बची अस्थियों को जल को समर्पित किया जाता है !