क्या किसी ने भगवान शिव के साक्षात दर्शन किया है ? जानिए उनका नाम
सावन का महीना, सुल्तानगंज से कांबड(रंगा हुआ बांस) में चुक्का फंसाकर उसमें गंगाजल लेकर बाबाधाम की ओर बढ़ती ग्रामीण कांबडियों की एक टोली,संग ८_१०साल के चार_पांच बच्चे।रोबदार मूंछों बाला एक कांबडिया,एक बच्चे से कहता_१०५कि०मी०चलना है, उसके बाद बाबा के दिव्य लिंग का अद्भभूत सिंगार देखना, फिर लिंग पर जल चढ़ाकर अपने चुक्के को चटनी बना देना,फिर देखो कितना मज़ा आता है,हम सब ऐसा ही करेंगें।
आगे तीन दिन का सफर,बीच_बीच में रात्रि विश्राम।अगली सुबह लंगड़ाकर चल रहा एक बच्चा वोला_रात में मैंने साक्षात् महादेव और उनके जटाधारी लिंग का दर्शन किया, जिस मैंने अपने चुक्के का जल भी चढ़ा दिया, उन्होंने कहा कि अब और आगे का सफर करने की कोई जरूरत नहीं,तेरी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जायेगी।मूंछधारी कांबडियों ने उसे गौर से देखा,एक फोटो दिखाया_बच्चा बिफरा,हां,ऐसे ही थे, मृगछाला पहने,जब उन्होंने वह भी खोल दिया तथा कहा,यह रहा, जटाधारी मनोकामना लिंग, अपने चुक्के का जल इस पर चढ़ा कर तृप्त हो जा,
अब तुझे आगे जाने की जरूरत नहीं, फिर उन्होंने जैसा कहा,मैं वैसा ही करता चला गया।बच्चे से पांच मिनट बात करने के बाद मूंछ बाला अन्य कांबडियों से बोला_किसी बहुरूपिए ने इसको धूर बनाकर अप्राकृतिक यौनाचार कर लिया है, पिछले कई सालों से ऐसा ही हो रहा है,आगे हमें और ज्यादा सावधान रहना होगा। पीड़ित बच्चे की सूनी आंखें समंदर बन चुके थे,मूंछ बाला फिर गुर्राकर बोला,क्या हम बीच से ही नहीं लौट सकते,क्या लिंग पर जल चढ़ाना जरुरी है
?तभी बुजुर्ग मूछधारी का तमाचा उसके गालों पर पड़ा,कहा,देखो लाखों लोगों को,जो बाबा के दिव्य लिंग का सिंगार कर उस पर जल चढ़ाकर ही लौटेंगे,सब बेवकूफ हैं क्या? हमारे किस्मत है,जो मौका मिल रहा है। अनपढ़ एवं गरीब ग्रामीणों की टोली एक बार फिर से अपने रास्ते पर बढ़ चली।गुलाम हिन्दू समाज,जहां हर तरह के अपराध सामाजिक मान्यता पाने की ओर अग्रसर हैं।