क्या बाली हनुमान जी को हरा सकता था?

कभी नहीं।

हनुमान जी शिव जी के ग्यारहवें रुद्र अवतार माने जाते है। प्रभु श्री राम के अन्नत भक्त है। बली ताकतवर था लेकिन अहंकार ने उसे घमंड से भर दिया था। बली इन्द्र देवता का मानस पुत्र था। बाली ने ब्रम्हा जी को प्रशन्न कर वरदान प्राप्त कर लिया था। जिससे उसके अंदर अहंकार उत्तपन है गया। क्युकी बली को ऐसा वरदान था कि को भी उससे युद्ध करेगा उसकी आधी सकती बाली में जाएगी।

एक बार बाली अपने अहंकार में चूर भयंकर नाद करते हुए जंगलों से गुजर रहा था, वहीं पास में हनुमान जी आपने आराध्य श्री राम जी का पाठ कर रहे थे। जिससे हनुमान जी को अपने आराध्य श्री राम की पूजा में विघ्न पड़ रहा था। जिससे हनुमान जी बाली को शांत और कहीं दूर जाने को बोले ये सुनकर बाली क्रोधित होकर हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारा लेकिन हनुमान जी अपने आराध्य श्री राम की पूजा में लगे रहे।

बाली और क्रोधित हो गया और प्रभु राम को भी ललकारा जिससे हनुमान जी को काफी क्रोध आया और उन्होंने ने बाली से युद्ध के लिए तैयार हो गए। जब इस बात का पता ब्रम्हा जी को लगा तो ब्रम्हा जी हनुमान के पास पहुंचे और बोले हे वस्त बाली से युद्ध मत करो, तब हनुमान जी ने कहा प्रभु इसने अगर मुझे ललकारा होता तो मै नहीं लड़ता, लेकिन इसने मेरे प्रभु श्री राम जी को ललकारा है। अब मै पीछे नहीं हट सकता।

तब ब्रम्हा जी बोले तो ठीक है। आप अपने बल का दसवां भाग ही लेके जाना बाली से युद्ध के लिए। हनुमान जी इसके लिए तैयार हो गए।

अगले दी जब बाली युद्ध के लिए मैदान में पहुंचा । हनुमानजी को सामने देख बाली कि नसे मानो फटने लगी बाली के अंदर हनुमान जी की शक्ति प्रवेश करने लगी बाली को ऐसा लगा जैसे उसकी नसे फट जाएगी उसका शरीर अभी फट जाएगा। तभी वह ब्रम्हा जी प्रगट हुए और बाली को बोले देखो वस्त जीतन जल्दी हो यह से भाग जाओ अन्यथा मेरे जाओगे क्युकी मेरे कहने से हनुमान जी अपने बाल का सिर्फ दसवां भाग के साथ ही युद्ध में आए है। सोचो अगर पूरे बाल के साथ आते तो क्या होता। बाली तुरंत ब्रम्हा जी को प्रणाम कर वह से भाग गया।

इस प्रकार बाली हनुमान ही से युद्ध किए ही भाग गया। हनुमान जी अथाह बलशाली है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *