क्या महाराणा प्रताप और अकबर कभी आमने सामने खड़े होकर एक दूसरे से मिले थे?

भारत के इतिहास में महाराणा प्रताप एकमात्र ऐसे योद्धा रहे, जिन्होंने कभी किसी मुगल बादशाह के आगे हार नहीं मानी। हल्दीघाटी के युद्ध के बाद तोअकबर इतना डर गया था वह सपने में भी महाराणा प्रताप के नाम से चौंक जाता था और पसीना-पसीना हो जाता था। इतिहासकार ये भी बताते है कि अकबर महाराणा प्रताप की मौत की खबर सुनकर रोया था। आपको हल्दीघाटी के युद्ध से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां बता रहा है।
-भारत के इतिहास में महाराणा प्रताप हल्दी घाटी के युद्ध के लिए भी प्रसिद्ध है। -1576 के हल्दीघाटी युद्ध में 20 हजार राजपूतों को साथ लेकर प्रताप ने अकबर की विशाल सेना का सामना किया और महज चंद मुट्ठीभर राजपूतों ने मुगलों के छक्‍के छुड़ा दिए।
-इतिहासकार मानते हैं कि इस सेना में कोई विजय नहीं हुआ, लेकिन महाराणा प्रताप और राजपूतों का युद्ध कौशल देखकर अकबर घबरा गया था।
-इसके बाद भी महाराणा प्रताप और मुगलों के बीच लंबे समय तक युद्ध चलते रहे।
-बाद में महाराणा की सेना ने मुगल चौकियों पर आक्रमण शुरू कर उदयपुर समेत 36 बेहद अहम ठिकानों को अपने अधिकार में ले लिया।
-12 सालों के लंबे संघर्ष के बाद भी महाराणा प्रताप अकबर के अधीन नहीं आए।

 सपने में भी पसीना-पसीना हो जाता था अकबर -अकबर इतना डर गया था, खासकर राणा केयुद्ध कौशल देखकर कि वह सपने में भी राणा के नाम से चौंक जाता था और पसीना-पसीना हो जाता था।
-यही नहीं लंबे समय तक राणा की तलवार अकबर के मन में डर के रूप में बैठ गई थी।
-अकबर इतना सहमा हुआ था कि उसने अपनी राजधानी पहले लाहौर और बाद में राणा की मृत्‍यु के बाद आगरा ले जाने का फैसला किया

बदायूनी लिखते हैं कि देह जला देने वाली धूप और लू सैनिकों के मगज पिघला देने वाली थी। चारण रामा सांदू ने आंखों देखा हाल लिखा है कि प्रताप ने मानसिंह पर वार किया। वह झुककर बच गया, महावत मारा गया। बेकाबू हाथी को मानसिंह ने संभाल लिया। सबको भ्रम हुआ कि मानसिंह मर गया। दूसरे ही पल बहलोल खां पर प्रताप ने ऐसा वार किया कि सिर से घोड़े तक के दो टुकड़े कर दिए।

अकबर था छोटे कद का वहां जानता था कि अगर राणा का सामना हुआ तो जिसमें एक बार में घोड़े तक को साथ काट दिया मेरा क्या हाल करेगा इसलिए वहां कभी राणा के सामने ना आया और कई बार अपने सेना नायकों को भेजता रहा उससे अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए राणा ने हमेशा नही का। ?????धन्य है राणा जैसे वीर को हर बार में उनके लिए जितना लिखूं उतनी खुशी मिलती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *