क्या यह सत्य है कि ब्राह्मण के घर जन्म लेने वाले परम सौभाग्यशाली होते हैं? जानिए सच

अब भारत मैं ब्राह्मण के घर जन्म लेना और अगर दारिद्र भी है तो अभिशाप ही है. इससे बेहतर तो पासवान जगजीवंरम लालू मुलायम मायावती के घर या दलित शुद्र ती पिछड़ी जाती जैसे मीणा यादव अहिर तेली धोबी कुम्हार आदि मैं जन्म लेना तो पिछले सात जन्मों के पुण्यक्रम फलने जैसा है.

ब्राह्मण के घर जन्म लिया और शुद्र या मुस्लिम बस्ती मैं घर मिला या बस गए या जनमसे ही वही रह रहे है तो पुरा नरक एक ही जन्म मैं भुगत जाओगे. बोल कुछ सकोगे नहीं जो हो रहा है रोक सकोगे नहीं, चुप रह नहीं पाओगे. प्रतिरोध होगा नहीं तो घुट घुट कर नरक भोगते हुए भगवान से दलित या अल्पसंख्यक बनने कि अगले जन्म मैं दुआ ही करोगे.

फिर भी ब्राह्मण हो तो कुछ बुद्धि लगाकर कोई न कोई यत्न कर ही लोगे और इनको लड़ा भिड़ा कर अपने लिए कोई रsता खोज लोगे. क्योंकि रबर को दबाने से ज़ब भी छोड़ोगे वह अपने मूल रूप को प्राप्त कर लेती है ऐसा ब्राह्मण स्वभाव है और वह अपना प्रभाव डालेगा ही. बुद्धि है कुछ तो फलेगी ही.

भगवद गीता मैं जरूर ब्राह्मण के घर जन्म लेने को परम सौभाग्यशाली तथा पूर्व जन्म के श्रेष्ठ कर्मों का फल कहा गया है. गीता मैं ब्राह्मण को ज्ञानवन कहा गया है तथा जाती जन्म से नहीं कर्म से बताई गयी है. अतः ब्राह्मण अगर ज्ञान से बना है तो उसके घर जन्म होना अब भी वास्तव मैं सौभाग्य ही है. क्योंकि ज्ञान ही प्रकाश है. इससे ही सभी मार्ग तय होते है. यही सत्य है.

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