क्या सचमुच रिफाइंड तेल सेहत के लिए खतरनाक है ?

इन दिनों फैट फ्री और कॉलेस्ट्रॉल फ्री चाहने वालों के बीच रिफाइंड ऑयल का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है। पर असल में कॉलेस्ट्रॉल फ्री होने का दावा करने वाले इन तेलों में कई हानिकारक तत्व मौजूद रहते हैं।

इन दिनों फैट फ्री और कॉलेस्‍ट्रॉल फ्री चाहने वालों के बीच रिफाइंड ऑयल का इस्‍तेमाल काफी बढ़ गया है। वे पारंपरिक तेलों की बजाए रिफाइंड ऑयल में खाना बनाना पसंद करते हैं। इसके पीछे यह मान्‍यता है कि यह कम चिपकता है और लगता भी कम है। पर क्‍या आप जानते हैं कि असल में कॉलेस्‍ट्रॉल फ्री होने का दावा करने वाले इन तेलों में कई हानिकारक तत्‍व मौजूद रहते हैं। जो आपकी बोन हेल्‍थ और स्किन के लिए खासे नुकसानदायक साबित होते हैं। आइए जानते हैं रिफाइंड ऑयल के नुकसान।

क्‍यों नुकसानदायक है रिफाइंड ऑयल

दरअसल खाद्य तेलों को रिफाइन करने के लिए कई तरह के रसायनों का प्रयोग किया जाता है। जहां किसी भी तेल को रिफाइन करने में 6 से 7 प्रकार के रसायन प्रयोग किए जाते हैं। वहीं डबल रिफाइंड ऑयल में इनकी संख्या 12-13 तक हो जाती है। इन रसायनों में एक भी रसायन ऑर्गेनिक नहीं होता। अन्य रसायनों के साथ मिलकर यह जहरीले तत्‍वों का निर्माण करते हैं। जो शरीर में कैंसर कारक तत्‍व पैदा करते हैं।

क्‍या कहता है शोध

इनपर किए गए रिसर्च में यह बात रिफाइंड तेलों के बजाए पारंपरिक खाद्य तेल का प्रयोग अपेक्षाकृत अधिक सेहतमंद होता है। कॉलेस्ट्रॉल से बचने के लिए हम जिस रिफाइंड तेल का प्रयोग करते हैं, वह हमारे शरीर के आंतरिक अंगों से प्राकृतिक चिकनाई भी छीन लेते हैं। जिससे शरीर को कई तरह की समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है।

रिफाइंड ऑयल के नुकसान

नहीं मिल पाता फैटी एसिड

इससे शरीर को आवश्यक फैटी एसिड भी नहीं मिल पाते। जिससे आगे चलकर जोड़ों, त्वचा एवं अन्य अंगों संबंधी समस्याएं पैदा होने लगती है। जबकि सामान्य तेल में मौजूद चिकनाई शरीर को जरूरी फैटी एसिड प्रदान करती है।

स्किन के लिए खतरनाक

रिफाइंड ऑयल को बनाने की प्रक्रिया में जरूरी चिकनाई निकल जाती है। जबकि आपकी स्किन के ग्‍लो को बनाए रखने के लिए यह चिकनाई जरूरी है। जिससे त्‍वचा में ड्राइनैस और झुर्रियां बढ़ जाती हैं। इससे एजिंग की रफ्तार भी तेज हो जाती है।

बोन हेल्‍थ को पहुंचाते हैं नुकसान

रिफाइंड ऑयल का लंबे समय तक इस्‍तेमाल बोन हेल्‍थ को नुकसान पहुंचाता है। कई अध्‍ययनों में यह देखने में आया है कि जो लोग लंबे समय से इसका सेवन कर रहे हैं उनके घुटनों और अन्‍य जोड़ों में दर्द रहने लगता है। इससे अस्थि‍मज्‍जा को भी नुकसान पहुंचता है। रिफाइंड तेलों का प्रयोग नुकसानदेह हो सकता है क्योंकि रिफाइनिंग की प्रक्रिया में तेल को अत्यधिक तापमान पर गर्म किया जाता है। जिससे उनका क्षरण होता है और जहरीले पदार्थ पैदा होते हैं।

पारं‍परिक तेल-घी हैं बेहतर

शोध के अनुसार खाना पकाने में सरसों तेल, नारियल तेल और घी, जैसे परंपरागत तेल ज्‍यादा बेहतर हैं। ये स्वास्थ्य लाभ के मामले में रिफाइंड’ और अन्य तेलों से बेहतर पाए गए हैं। संतृप्त वसा (जैसे घी, नारियल तेल) का प्रयोग करना इसलिए भी सही है क्योंकि वे तलने के दौरान तुलनात्मक रूप से स्थिर रहते हैं।

हाइब्रिड सरसों का काला सच

आपने आजकल देखा होगा कि सरसों के खेतों में सरसों की एक हाइब्रिड ब्रांड की पोस्टर लगे होते हैं वह सरसों हाइब्रिड क्वालिटी की होती है और हाइब्रिड पैदावार में इतनी ज्यादा होती है यह सेहत के लिए उतनी ही नुकसान दे होती है इसका जीता जागता उदाहरण अमेरिका है अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा हाइब्रिड सरसों के उत्पादक देशों में गिना जाता है लेकिन अमेरिका में उस सरसो का एक बूंद तेल इस्तेमाल नहीं किया जाता क्योंकि वह उनके मानकों के अनुसार स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है इसलिए वह सारी सरसो को अफ्रीका के गरीब देशों को एक्सपोर्ट कर देते हैं

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