क्या सचिन तेंदुलकर एक स्वार्थी खिलाड़ी थे? जानिए सच

अगर सचिन तेंदुलकर स्वार्थी होते तो वह अपना विकेट वैसे ही फेंक देते जैसे 90 के दशक में उनके साथी फेका करते थे ।

अगर वे टीम में नहीं होते तो भारत को और भी ज्यादा नुकसान होता।

सचिन हमेशा लोगों की भावनाओं के लिए खेलते थे, उनके 100 शतकों में से 75 जीत या ड्रा मैचों में रहे हैं।

भारत को जो मैच हारे, वे अन्य सदस्यों के बिल्कुल भी योगदान न देने के कारण थे।

1996 के बाद ही सचिन को गांगुली और द्रविड़ के आने से बल्लेबाजी में अच्छा समर्थन मिला।

हमारी गेंदबाजी अभी भी कमजोर थी क्योंकि केवल श्रीनाथ और कुंबले ही विकेट लेने वाले थे।

उन समस्याओं को ज्यादातर साल 2000 के बाद हल किया गया जब जहीर खान , हरभजन सिंह और अजीत अगरकर भी आए।

सचिन तेंदुलकर भी एक बहुत अच्छे और उपयोगी गेंदबाज थे उन्होंने वनडे में 150 से अधिक विकेट लिए।

सचिन तेंदुलकर को स्वार्थी कहना अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य को बेकार कहने के समान है।

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