क्रिकेट के खेल में डीआरएस लेने पर तीन मीटर का नियम क्या है?
डीआरएस का 3 मीटर वाला नियम तो अंतराष्ट्रीय खिलाड़ियों और अंपायर को भी परेशान कर देता है। इसी साल पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली गई श्रृंखला में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान टिम पेन अंपायर से सवाल जवाब करने लगे जब लगातार दो टेस्ट मैचों में दो बार डीआरएस के नियम 3.3 का फायदा पाकिस्तान को मिला। युवराज सिंह को भी एक बार इस नियम का नुकसान उठाना पड़ा था। तब उन्होंने कहा था कि यह नियम मेरी समझ मे नहीं आता। हालांकि उस समय 2.5 मीटर का नियम लागू था और यह अभी के 3 मीटर नियम से भी जटिल था।
नियम कहता है कि अगर बॉल पैड से विकेट से 3 मीटर या उससे दूर टकराती है तो हॉक आई चाहे जो भी दिखाए, फील्ड अंपायर का दिया निर्णय ही मान्य होगा। मतलब अगर अंपायर ने बल्लेबाज को नॉट आउट दिया है तब गेंद अगर बॉल ट्रैकिंग में विकेट पर लग भी रही है तो वह नॉट आउट ही रहेगा। ऐसा ही आज हनुमा विहारी के साथ भी हुआ जब दक्षिण अफ्रीका ने उनके खिलाफ डीआरएस लिया और बॉल ट्रैकिंग से पता चला कि बॉल विकेट पर लग रही थी, परंतु इम्पैक्ट 3 मीटर से ज्यादा पर हुआ इस कारण उन्हें आउट नहीं दिया गया।
ऐसा इसलिए है कि हॉक आई तकनीक 100 प्रतिशत सटीक नहीं है और यह ज्यादा दूरी तक सटीकता से गेंद की दिशा का अनुमान नहीं लगा सकती। ऐसे में गेंद को तीन मीटर से ज्यादा का फासला यदि तय करना है तो इसपर भरोसा नहीं किया जा सकता और फील्ड अंपायर का निर्णय ही मान्य होता है। अगर गेंद लेग स्टंप के बाहर टप्पा न कह रही हो, इम्पैक्ट विकेट के सामने हो और गेंद विकेट पर लग रही हो तो फील्डिंग टीम का रिव्यु बरबाद नहीं होता पर अंपायर का निर्णय भी नहीं बदला जाता जैसा आज हनुमा विहारी के मामले में हुआ।
पहले तकनीक और भी अविश्वसनीय थी इस कारण 2.5 मीटर का नियम लागू था। पोस्ट किया चित्र उसी समय का है। युवराज गेंदबाज थे और बल्लेबाज को इस नियम का लाभ मिला।