‘गणपति बप्पा मोरया’ इसमें मोरया शब्द का क्या अर्थ और आशय है? जानिए

मोरया शब्द का अर्थ

मोरया गोसावीजी नामक संत चौदहवीं शताब्दी के संत थे.वे भगवान गणेश के एकनिष्ठ एवं अनन्य भक्त थे.गोसावीजी का जन्म पुणे के मोरगांव में हुआ था.

उन्होंने पुणे जिले के मोरगांव में श्री गणेश की भक्ति की । इसके साथ ही थेऊर में भी एक शिला पर बैठकर गणेशोपासना की । थेऊर गांव मुळा-मुठा नदी के किनारे बसा है ।

भगवान गणपति ने मोरया गोसावी को साक्षात्कार दिया कि मैं (गणपति) तुम्हारी पूजा के लिए चिंचवड में प्रकट होनेवाला हूं । तदुपरांत उन्हें कर्ही नदी में श्री गणेशमूर्ति प्राप्त हुई । तदुपरांत वे मोरगांव से चिंचवड में स्थायी हो गए । उन्होंने वहां गणपति मंदिर का निर्माण किया और वहां कर्हा नदी में प्राप्त हुई श्री गणेशमूर्ति की स्थापना की । कुछ समय पश्‍चात मोरया गोसावीजी ने वहीं पर संजीवन समाधि ली ।मोरया गोसावी के पुत्र चिंतामणि को भी गणेश का अवतार माना जाता है।

गणेशभक्त मोरया गोसावीजी ने थेऊर के निकट जिस स्थान पर बैठकर साधना की, वह पवित्र शिला एवं स्थान ऐसे ही महान एवं परम गणेश भक्त की अद्भुत भक्ति-समर्पण एवं तपस्या के कारण उनका नाम गणपति बप्पा से एकाकार होकर “गणपति बप्पा मोरया” कहलाने लगा… “मोरया मोरया। .. गणपति बाप्पा मोरया”…

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