गांधी जी की दांडी यात्रा कितने किलोमीटर की थी? जानिए

डंडी यात्रा कि शुरुआत गुजरात के शहर अहमदाबाद में स्थिति गाँधी जी के साबरमती आश्रम से हुयी. सविनय अवज्ञा आंदोलन चल रहा था. अंग्रेज सरकार के नमक क़ानून का विरोध हो रहा था. नमक क़ानून में सरकार ने सबसे आवश्यक वस्तु नमक पर कार लगाया और अधिक लगाया. गांधीजी ने और कांग्रेस ने इसका विरोध किया.

नमक क़ानून का विरोध करते हुए गांधीजी के नेतृत्व में 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद से डंडी तक मार्च किया गया. पूरी डंडी समुद्र तट तक कूल दुरी 358 किलोमीटर थी सड़क मार्ग से. गाँधी जी के साथ कूल 78 लोग थे. इनमे राजाजी एयर सरोजिनी नायडू भी थे. 24 दिन कि यात्रा करके 6 अप्रेल 1930 को गांधीजी डंडी पहुँच गए और वहां नमक बनाया और क़ानून का विरोध किया. हर दिन गाँधी जी और उनके आंदोलनकारी 16–19 किलोमीटर पैदल चले. इस आंदोलन का अंतिम पड़ाव गुजरात का नवसारी क़स्बा था जो डंडी से 13 किलोमीटर दुर है.

गांधीजी और वाइसराय लार्ड इरविन के समझौते के बाद सविनय अवज्ञा आंदोलन वापिस ले लिया गया और समझौता 1931 में हुआ गोलमेज सम्मेलन के समय सहमति बनने पर. इसमें बाबाजी भीमराव अमवेदकर भी सम्मिलित हिये.

दुनिया के सबसे बडे सत्याग्रहों में से एक था नमक सत्याग्रह. इस क़ानून का उललंघन करने के साथ ही महात्मा गाँधी और अन्य लोगो को सरकार ने गिरफ्तार करवा लिया. पुते भारत में नमक सत्याग्रह के विरोध में भारतीय कांग्रेस के नेताओं कि धरपकड़ शुरू हो गयी. 8000 से अधिक लोग जेल में डाले गए. चौधरी चरन सिंह मेरठ कांग्रेस के पदाधिकारी और बकील ने ग़ज़िआबाद म नमक सत्याग्रह का समर्थन किया और जेल गए. इस सत्याग्रह को विदेशी मानवतावादी लोग जैसे मार्टिन लुथर किंग जूनियर का भी समर्थन था. गांधीजी ने नमक हाथ में लेकर कहा कि में भारत में ब्रिटिश साम्राज्य कि नींव हिला रहा हु.

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