चंदन के पेड़ की बाघवानी सरकार आम किसान को क्यों नहीं करने देती?

यह कहना सही नहीं है कि सरकार आम किसान को चन्दन के पेड़ लगाने की अनुमति नहीं देती. इन्टरनेट पर खोज करने से पता चलता है कि 2001 तक यह बात सही थी किन्तु 2002 में नियमों में बदलाव किया गया था. साथ ही यह कहना भी पूरी तरह से सही नहीं है कि भारत सरकार ने अथवा किसी राज्य की सरकार ने चन्दन के पेड़ की बागवानी की अनुमति दे दी है.

सच तो यह है कि आप चन्दन के पेड़ लगा तो सकते हैं किन्तु उन्हें अपनी मर्जी से काट नहीं सकते. एक बार चन्दन के पेड़ लगाने अथवा उगाने के बाद वे एक तरह से राष्ट्र की सम्पत्ति बन जाते हैं और उन्हें काटने और बेचने के लिए फॉरेस्ट ऑफिसर से अनुमति लेनी होती है. प्रायः फॉरेस्ट ऑफिसर उसे काट कर ले जाते हैं और सरकारी रेट पर आपको कीमत का भुगतान कर दिया जाता है.

लेकिन ध्यान रहे कि चन्दन का पेड़ कम से कम 10 साल या 15 साल बाद ही काट कर बेचा जा सकता है. अच्छी आमदनी के लिये शायद पेड़ों को 15 साल से 30 साल तक पालते रहना होगा और तभी उनकी अच्छी कीमत मिल सकेगी. सबके पास इतने लम्बे समय तक इन्तज़ार करने का धीरज नहीं होगा.

पेड़ लगा कर धन कमाने की ही बात है तो किसानों के लिये धनोपार्जन के अन्य और भी अच्छे ऑप्शन (दूसरे तरीके) उपलब्ध हैं. आमदनी के लिये आप सामान्य फलों के पेड़ो की बागवानी भी कर सकते हैं.

यदि आपने इस साल 2021 में चन्दन का पेड़ लगाया तो शायद 30 साल बाद 2051 में जाकर आपको बहुत अच्छी आमदनी हो पायेगी. सम्भव है कि तब आपका बेटा या हो सकता है कि आपके बेटे का बेटा पेड़ काट रहा होगा.

उससे तो अच्छा है कि आप आज आम के पेड़ लगाइये और पाँच छः साल में ही हर साल कुछ न कुछ अच्छी आमदनी पाना शुरू कर लीजिये. आम के कुछ पौधे तो तीन साल बाद ही फल देने लगते हैं.

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