चूहे का जूठा होता है देवी मंदिर का प्रसाद, जानें यह राज़

मनुष्य चूहे से कितना घृणा करता है, यह आपको बताने की ज़रूरत नहीं, लेकिन क्या हो जब माता के दरबार में आपको चूहे का ही जूठा प्रसाद खाने को मिले??? दोस्तों आज वेद संसार आपको एक ऐसी ही अनोखी या यूं कहे कि अजीबो-गरीब मंदिर बताने जा है जिसके बारे में आप जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे।

दरअसल, हम जिस खास मंदिर की बात कर रहे हैं वह राजस्थान के बीकानेर में स्थित है। इस मंदिर को वहां के लोग चमत्कारी और अनोखी मानते हैं। बता दें कि इस मंदिर को लोग करणी माता का मंदिर कहकर बुलाते हैं।

चूहे के जूठे प्रसाद की अनोखी दास्तां

क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां आने वाले सभी भक्तों को चूहे का जूठा प्रसाद खाने को मिलता है। चौंकाने वाली बात यह है कि चूहों का जूठा प्रसाद खाने के बाद भी आज तक कोई व्यक्ति बीमार नहीं हुआ है। यही नहीं, इस मंदिर में एक या दो चूहे नहीं हैं बल्कि कई अनगिनत चूहे मौजूद होते हैं और आश्चर्य की बात यह है कि मंदिर परिसर में बिल्कुल भी बदबू नहीं होती। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर को चूहों का मंदिर भी कहा जाता है।

चूहे के कारण मंदिर में पैर घसीटकर जानें के यह कैसे नियम
मंदिर में हर जगह चूहे ही चूहे होने की वजह से माता करणी के इस अनोखी मंदिर के दर्शन करने के लिए भक्तों को अपने पैर घसीटकर जाना पड़ता है, क्योंकि अगर कोई अपना पैर उठाकर चलता है, तो इससे चूहे घायल हो सकते हैं और यहां किसी भी चूहे का किसी भक्त के पैरो दबकर घायल हो जाना बहुत अशुभ माना जाता है। जान लें कि मंदिर में सफ़ेद चूहों को ज्यादा शुभ माना जाता है। मान्यता यह है कि जिस किसी को भी मंदिर में कोई सफ़ेद चूहा दिखाई दे जाता है, तो उसकी हर मनोकामना ज़रूर से पूरी होती है।

करणी मंदिर में कब आते हैं चूहे बिल से बाहर

करणी मंदिर के चूहों की एक खासयित बात यह है कि यह मंदिर में सुबह 5 बजे होने वाली आरती और शाम को 7 बजे होने वाली आरती के वक़्त ही अपने बिलों से बाहर आते हैं और आरती में शामिल होते हैं। वहीं, लोक मान्यात के अनुसार यहां रहने वाले चूहों को काबा भी कहा जाता है। दिलचस्प बात यह है कि मां को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को पहले चूहे खाते हैं और फिर उसे भक्तों में बांटा जाता है।

चूहे के मंदिर की पौराणिक कथा
इस अनोखी मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी है। कहते हैं कि एक बार करणी माता का सौतेला पुत्र लक्ष्मण सरोवर में पानी पीने की कोशिश में डूब कर मर गया था। वहीं, जब करणी माता को इस बात का पता चला, तो उन्होंने मृत्यु के देवता यानि कि यमराज से उसे दोबारा जीवित करने की प्राथना की थी और यमराज ने उसे चूहे के रूप में पुनर्जीवित कर दिया था।

अगर आप लोक मान्यता की बात करें तो एक बार 20,000 सैनिकों की एक सेना देशनोक पर आकर्मण करने आई थी, जिन्हें माता ने अपनी शक्ति से चूहा बना दिया था और सबको अपनी सेवा में रख लिया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *