छठ पूजा कैसे मनाई जाती है? जानिए

छठ पूजा का त्योहार भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक गिना जाता है। यह शुभ पर्व हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी को मनाया जाता है। भारत में छठ का त्योहार सुर्यपासना के लिए सबसे पवित्र पर्व माना गया है। यह पर्व हर साल दो वार आता है। पहली बार चेत्र में और दूसरी वार कार्तिक में। इस पर्व को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसी मान्यता है के सच्चे मन से की गयी पूजा से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं यह पर्व पति की लम्बी आयु और संतान प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। छठी पूजा का व्रत बड़ी ही निष्ठा से रखा जाता है यह व्रत चार दिन तक किया जाता है। इस व्रत के पहले दिन महिलाएं सेंधा हुआ नमक, कद्दू की सब्जी, चने की दाल और रोटी के साथ भोजन करती है।

इसके अगले दिन व्रत शुरू होता है। महिलाएं अन्न जल को त्याग कर दिनभर व्रत रखती है और शाम को गन्ने का रस जा गुड में बने हुए चावल की खीर को प्रसाद के रूप में लेना होता है।

तीसरे दिन सूर्य पुष्ठी वाले दिन व्रत रखकर शाम के वक्त डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देने के लिए पूजा की समग्री को लकड़ी के डाले में रखकर घाट पर ले जाना चाहिए और सूर्य को अर्घ्य करने के पश्चात सारी समग्री घर में रख देनी चाहिए और रात के समय छठी माता की व्रत कथा सुननी चाहिए।

चौथे दिन सुबह सूर्य निकलने से पहले घाट पर पहुंच जाना चाहिए और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य करना चाहिए। घाट से लौटने के पश्चात प्रसाद को सभी के बीच बांटना चाहिए और स्वंय प्रसाद खाकर व्रत खोलना चाहिए।

एक मान्यता के अनुसार छठ पूजा का पर्व महाभारत काल में कुंती द्वारा सूर्य देव की आराधना एवं पुत्र कर्ण के जन्म से माना जाता है। एक और कथा के मुताबिक जब लंका विजय के पश्चात रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को प्रभु राम और माता सीता ने व्रत रखा था और सूर्य देव की आराधना की थी।

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