जनेटर किस प्रकार बनाया जाता हैं कैसे कार्य करता है

जेनर डायोड (जनैटर) 

यह एक विशेष प्रकार का अर्द्धचालक डायोड है, जिसका नाम आविष्कारक सी० जेनर के नाम पर रखा गया है इस पंजन क्षेत्र में पश्च दिशिक बायस  में प्रचालित करने के लिये डिजाइन किया गया है। इसका उपयोग वोल्टता नियन्त्रक  के रूप में किया जाता है। जेनर डायोड का प्रतीक चित्र 28 में दर्शाया गया है। जेनर डायोड सन्धि के p- तथा n- दोनों फलकों को अत्यधिक अपमिश्रित कर विकसित किया जाता

है। इस कारण, अवक्षय परत   काफी पतली (e 1 um हो जाती है। अत: यदि इस स्थिति में बाह्य बैटरी द्वारा आरोपित विभवान्तर काफी कम जैसे कि उदाहरण के लिये 3 वोल्ट रखें तो सन्धि पर स्थापित विभव प्रवणता/वैद्युत क्षेत्र -6 की तीव्रता काफी अधिक (E = V/I = 3/1 x 10®° = 3 x 10° वोल्ट/मीटर) हो जाती है। इस प्रकार डायोड के सिरों पर कम = बोल्टता लगाकर भी सन्धि का भंजन  आसानी से किया जा सकता है।
जेनर डायोड सामान्यतया जर्मेनियम अथवा सिलिकॉन दोनों ही अर्द्धचालक पदार्थों से बनाया जाता है। परन्तु सिलिकॉन के अधिक धारा स्थायित्व व तापीय स्थायित्व को देखते हुये जर्मेनियम को अपेक्षाकृत अधिक महत्त्व दिया जाता है।

 

सिद्धान्त :

जब जेनर डायोड को भंजक वोल्टता क्षेत्र में प्रयुक्त किया जाता है तो उत्क्रम
धारा में बहुत अधिक परिवर्तन होने पर भी इसके सिरों के बीच वोल्टेज, जिसे भंजक वोल्टता
 कहते हैं, नियत रहता है। कार्यविधि  चित्र 30 में Vin अनियन्त्रित निवेशी दिष्ट धारा वोल्टेज है
जिसके उच्चावचन  को नियन्त्रित करना है। इसके लिये जेनर डायोड को V.. के सिरों के बीच श्रेणी प्रतिरोध R के द्वारा पश्च दिशिक बायस  में जोड़ा जाता है।

यदि निवेशी वोल्टेज में वृद्धि होती है तो प्रतिरोध R व जेनर डायोड में प्रवाहित वैद्युत धारा में भी वृद्धि हो जाती है। इससे जेनर डायोड के सिरों पर वोल्टेज में कोई भी परिवर्तन हुये बिना ही R के सिरों पर वोल्टेज में वृद्धि हो जाती है। इसका कारण यह है कि भंजन क्षेत्र में जेनर वोल्टता नियत रहती है, यद्यपि जेनर डायोड से प्रवाहित धारा में परिवर्तन होता है।

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