जब कभी ट्रेन रुकती है तो एक बदबू क्यों आती है जैसे कुछ जल रहा हो? जानिए वजह

ऐसी महक – आपने – सामान्य 2nd क्लास के अनारक्षित डब्बे के पास महसूस किया होगा .

इसकी वजह ?

आजकल रेल के डब्बों में – कम्पोजिट ब्रेक ब्लाक प्रयोग करते हैं .

कम्पोजिट = (आर्गेनिक + धातु) का मिश्रण

पहले केवल धातु – यानि CAST IRON के ब्रेक ब्लाक प्रयुक्त होते थे – लेकिन इनका घिसाव बहुत ज्यादा होता था – सो नए पदार्थ कम्पोजिट का प्रयोग किया जाने लगा .

ब्रेक ब्लॉक – जो ब्रेक लगने पर पहिये के संपर्क में आते हैं और स्वयं घिस कर ब्रेक लगाते हैं। ट्रेन की गतिक ऊर्जा kinetic energy -ब्रेक ब्लॉक और पहिये की ताप ऊर्जा /thermal energy में बदल जाती है -ब्रेक लगने पर।

कम्पोजिट ब्रेक ब्लॉक की सरंचना और फायदे

धातु से – मजबूती और ब्रेक के दौरान पैदा हुए heat को हटाने हेतु thermal conductivity मिलती है

आर्गेनिक या जैविक फाइबर से इसे ज्यादा घर्षण मिलता है – आप खुद महसूस करते होंगे – जब बोतल का ढक्कन खोलने में हाथ स्लिप करने लगता है तो आप कोई कपडा या रुमाल लगा कर – खोलने में सफल होते हैं – क्योंकि घर्षण बढ़ जाता है . तो कम्पोजिट ब्रेक ब्लाक का घर्षण गुणांक CAST IRON की .11 – .15 तुलना में ज्यादा होता है और औसतन 0.25 होता है( LHB में .35 ) और अधिकतम 0.42

लेकिन यही आर्गेनिक या जैविक पदार्थ जब जलता है तो जलने की महक आएगी

पर ब्रेक ब्लाक क्यों जलेगा ?

ब्रेक ब्लाक ( ICF डब्बों में ) या ब्रेक पैड (LHB डब्बों में ) की डिजाईन ऐसी रहती है , कि यह जले नहीं -न ही इसका तापमान बढे . ब्रेक ब्लाक का जलना या तापमान अत्यधिक बढ़ जाना – डिजाईन की चुक को बताता है .

पर LHB के समस्त ब्रेक पैड – आयातित हैं – और यूरोप में भी ऐसे ही ब्रेक प्रयोग हो रहे हैं .

फिर भारत में ही समस्या क्यों ?

जो कम्पोजिट ब्रेक ब्लाक प्रयोग हो रहे हैं ,वे

  1. एस्बेस्टस रहित हैं
  2. जिंक और लेड – इन दो धातुयों का भी प्रयोग अवांछित है ( याद करें पेट्रोल में शीशा बनाम शीशा रहित पेट्रोल वाला मुद्दा )
  3. मानव हेतु हानिकारक अन्य पदार्थ का प्रयोग भी वर्जित है
  4. गंधरहित होना चाहिए

आखिरी गुण पे ज़िक्र पर चक्कर खाना स्वाभाविक है .

जनता कह रही है बदबू आ रही है और यहाँ कहा जा रहा है – कि गंध रहित होना चाहिए .

वाकई , ब्रेक ब्लाक का chromatogaph पर tedlar bag की सहायता से गंध रहित यानि odourless होने के लिए टेस्ट किया जाता है . इसके लिए प्रयोगशाला की हवा के गंध का chormatogaphic चित्र पहले दर्ज किया जाता है , फिर ब्रेक ब्लाक को 400 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करके उसके संपर्क से हो के निकलने वाली हवा का chormatogaphic चित्र दर्ज किया जाता है . फिर दोनों की तुलना से पता चल जाता है कि – कोई अतिरिक्त तत्व या पदार्थ आया है या नहीं और उससे गंध पैदा हो सकती है क्या .

पर यकीन मानिये – ये गंधविहीन होते हैं . chormatograph बहुत एक्यूरेट होते हैं और 1 pico gram तक का वजन पता कर सकते हैं जो कि एक मिली ग्राम का दस खरबवाँ भाग होता है . नीचे का चित्र देखें pg = पिको ग्राम GC = ( गैस क्रोमैटोग्राफी )[4] स्क्रीन ग्रैब )

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