जब पावर ग्रिड फ़ेल्यर की वजह से किसी शहर में बिजली चली जाती है तब हवाई अड्डे पर जहाज़ की आवा-जाहि किस प्रकार से संचालित की जाती है? जानिए
बिजली की आपूर्ति ठप हो जाने पर हवाई अड्डे पर वैकल्पिक व्यवस्था होती है जिससे, हवाई जहाज की आवाजाही एवं हवाई अड्डे की अन्य गतिविधियां निर्बाध रूप से संचालित होती है इसके लिए निम्न वत व्यवस्था की जाती है
एक- बैकअप पावर डीजल जनरेटर सेट के माध्यम से – जो कि ऑटो चेंज ओवर स्विच से संचालित होते हैं और बिजली गुल होने पर यह बैटरी से ऑटोमैटिक स्टार्ट हो जाते हैं और 15 -60 सेकंड के अंदर फुल लोड ले लेते हैं।
दो- हवाई अड्डे को दो से ज्यादा क्षेत्रों में बाँटना, ताकि डीजल जनरेटर सेट खराब या अन्य खराबी की अवस्था मे एक से दूसरे या तीसरे क्षेत्र में बिजली आपुर्ति डाइवर्ट की जा सके
तीन : जो सामान्य बिजली का लोड है उससे ज्यादा क्षमता के कुल मिलाकर डीजल जनरेटर सेट लगाए जाते हैं। ताकि कुछ जनरेटर सेट खराब हो जाए तो भी सामान्य बिजली का लोड की आपुर्ति की जा सके। इसे redundancy रिडनडेंसी कहते हैं।
चार : अत्यंत ही क्रिटिकल उपकरण यथा कंप्यूटर सर्वर, ट्रैफिक कंट्रोल उपकरण आदि ऑनलाइन UPS यूपीएस पर होते हैं जिनकी बिजली कभी भी नहीं जाती है, बिजली गुल होने को ये माइक्रो सेकंड में भाँप लेते हैं और ऑटोमैटिक बैटरी से चलने लगते हैं।
इसे दिल्ली हवाई अड्डे के उदाहरण से समझेंगे।
डीजल जनरेटर सेट की क्षमता: 59.5 मेगा वाट (जो वास्तविक लोड से ज्यादा है)
- कुल विद्युत आपुर्ति क्षेत्र: 3
- टी 3 : जनरेटर सेट की क्षमता 42 मेगा वाट (14 सेट प्रत्येक 3 मेगा वाट का )
- टी 1 और 2 : 2.5 मेगा वाट ( 2 सेट 1 मेगा वाट और 1 आधा मेगा वाट )
- एयर साइड ( 6 सब स्टेशन प्रत्येक 2.5 मेगा वाट का। कुल 15 मेगा वाट। 1.25 मेगा वाट के 2 जनरेटर ) – रनवे, टैक्सी वे – लाइट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल आदि