जानिए आखिर हिटलर उतना क्रूर कैसे बना था?

हिटलर इतिहास के सबसे खतरनाक नेता माने जाते थे जिनके सामने पूरा विश्व कांपता था. हिटलर की वजह से मानव इतिहास का सबसे विनाशकारी युद्ध छिड़ा था. ये युद्ध दूसरा विश्व युद्ध था जिसकी वजह से करोड़ों लोगों की जान गई.इतिहास ऐसे कितने ही किस्सों से लबरेज़ है कि कोई शख्स क्या बनने और करने की ख्वाहिश रखता था और क्या बन गया? 20 अप्रैल 1889 को जन्मे और 30 अप्रैल 1945 को अपने बंकर में आत्महत्या करने वाले अडोल्फ़ हिटलर का किस्सा उनमें से एक है. यह एक ऐसे इंसान की कहानी है जो बनना तो चित्रकार चाहता था पर बन गया दुनिया का सबसे क्रूर तानाशाह. यह बात ताज्जुब की है कि उसकी चित्रकारी में ऐसी कोई बात नहीं थी जो उसकी कुंठित मानसिकता की ओर इशारा कर सकती. उसने कैनवास पर तो इमारतों, बागीचों और इंसानों के दर्द को बयान करने वाली चित्रकारी उकेरी थी, लेकिन हकीक़त में ऐसा वीभत्स चित्र बनाया जिसे आने वाली कई सदियों तक मिटाया नहीं जा सकता.

एक अनुमान के मुताबिक़ दुसरे विश्व युद्ध में दुनिया की तकरीबन 3.7 फीसदी आबादी खत्म हो गयी थी. अगर हम पहले विश्व युद्ध में मरने वालों की संख्या भी इसमें जोड़ दें तो यह आंकड़ा लगभग 5.6 फीसदी हो जाता है. यह जोड़ इसलिए कि जानकार अब यह भी मानते हैं कि विश्व युद्ध दो नहीं हुए, बल्कि एक ही हुआ था – बीच में बस थोड़े समय के लिए युद्धविराम हो गया था.पहले विश्वयुद्ध के चार मुख्य कारण थे – सामरिक गुट बाज़ी, उपनिवेशवाद, हथियारों की दौड़ और राष्ट्रवाद. आगे चलकर राष्ट्रवाद ने नस्लवाद का रूप ले लिया और बढते साम्यवाद को मिटाने की चाह इसमें जोड़कर फिर से लड़ाई शुरू कर दी गयी. इसे दूसरा विश्व युद्ध कहा गया. लिहाज़ा यह एक ही युद्ध था.

अगर आंकड़ों से अलग करके देखें तो कह सकते हैं कि हिटलर कोई व्यक्ति नहीं एक मानसिकता थी. मानसिकता सब कुछ पाने की. सबकुछ अपने हिसाब से दुनिया को दिखाने की. मानसिकता अपने झूठ को सच मनवाने की. मानसिकता अपने गलत को सही कहलाने की. हर दौर में ‘गोएबल्स’ का सहारा लिया गया है. दिन को रात और सफ़ेद को काला किया गया है. हर दौर में औरतों पर जुल्म किये गए हैं. हिटलरवादी मानसिकता तो गोरों द्वारा कालों को मिटाने में भी ज़ाहिर होती है. एक धर्म द्वारा दूसरे धर्म को ख़त्म करने की कोशिश में भी दिखती है. एक जाति के दूसरी जाति का नामोनिशान मिटाने के प्रयास में भी.

क्या हिंदुओं ने बौद्ध धर्म को हिंदुस्तान से नहीं उखाड़ फेंका? अमीर ख़ुसरो ने अपनी किताब ‘खज़ा’ईन अल्फुतुह’ में अलाउद्दीन खिलजी द्वारा मारे गए हिंदुओं के नापाक खून से खिलज़ी की तलवार को गंदा होना बताया है. यह क्या कम घिनौना है? इतिहासकार विल दुर्रांत ने अपनी किताब – ‘सभ्यताओं का इतिहास’ – में लिखा है कि मुसलमानों का हिंदुस्तान पर आक्रमण इतिहास में सबसे ज़्यादा ख़ूनी घटना है. क्या पोप और चर्च ने धर्मांध होकर गैर ईसाइयों की हत्या नहीं करवाई थी? ये क्या कम ख़ूनी घटनाएं थीं? अमेरिका और सहयोगी देशों की तेल पर अधिकार की लड़ाई में बेगुनाह मुसलमानों की हत्या इसी का हिस्सा नज़र आता है.

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