जानिए कैसे हनुमानजी ने बलराम का अहंकार कैसे तोड़ा?
बलराम जंयती पर जानें कैसे तोड़ा हनुमान जी ने बलराम का घमंड एक बार बलराम जी को अपने बल पर अत्याधिक अहंकार हो गया था। भगवान श्री कृष्ण ये बात भलि भांति जानते थे। … उस वाटिका में हनुमान जी फल तोड़ते खाते और फेंक देते थे।
एक बार बलराम जी को अपने बल पर अत्याधिक अहंकार हो गया था। भगवान श्री कृष्ण ये बात भलि भांति जानते थे। श्री कृष्ण ने बलराम जी के घमंड को तोड़ने के लिए एक योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने हनुमान जी को याद किया।
हनुमान जी अपने आराध्य की बात कैसे टाल सकते थे इसलिए वे तुरंत ही द्वारका नगरी की वाटिका में पहुंच गए। ये वाटिका बलराम को अत्याधिक प्रिय थी। उस वाटिका का निर्माण भी बलराम जी ने स्वंय ही करवाया था।
हनुमान जी उस वाटिका में पहुंच कर फल खाने लगे। हनुमान जी ने एक वृद्ध वानर का रूप रखा हुआ था। लेकिन उनका शरीर अत्यंत ही विशाल था। उस वाटिका में हनुमान जी फल तोड़ते खाते और फेंक देते थे। उन्हें देखकर सभी द्वारपाल बहुत ही ज्यादा डर गए थे।
द्वारपालों ने तुरंत जाकर बलराम जी को सूचना दी की एक अत्यंत ही विशाल वानर वाटिका के अंदर आ गया है और वह फल खा कर फेंक रहा है। वह इतना विशाल है कि पेड़ों को उखाड़ रहा है। उस वानर ने पूरी ही वाटिका को तहस – नहस कर दिया है।
हमने आजतक इस प्रकार का विशाल वानर नहीं देखा है। यह सुनकर बलराम जी को अत्याधिक गुस्सा आ गया। जिसके बाद वह तुंरत ही उस वाटिका में पहुंच गए। बलराम जी उस वानर को देखकर अचंभित रह गए।
वह अपने मन ही मन में सोचने लगे कि यह कोई साधारण वानर नहीं है। क्योंकि कोई साधारण वानर तो इतना विशाल हो ही नहीं सकता जरूर ये कोई मयावी है। बलराम जी यह नहीं जानते थे कि यह कोई और नहीं बल्कि हनुमान जी हैं।