जानिए जंतर-मंतर की क्या विशेषता है?
जंतर मंतर, “यंत्र मंत्र” का अपभ्रंश रूप है। इसे प्राचीन भारत में कैद शाला कहा जाता था और इसे अंग्रेजी में (observatory) ऑब्जर्वेटरी कहते हैं। इस जगह से सूर्य चंद्र ग्रह नक्षत्र और अन्य तारों की गति और स्थिति पर नजर रखी जाती है। प्राचीन भारत के वैज्ञानिकों ने इन वेधशाला ओं का निर्माण कुछ ऐसी महत्वपूर्ण जगहों पर किया था जिसे खगोलीय महत्व का स्थान माना जाता है।भारत के अनेक प्राचीन पुरातात्विक स्मारकों और मंदिरों का खगोलीय महत्व है।
सवाई जयसिंह ने ऐसी वेधशाला का निर्माण जयपुर उज्जैन मथुरा दिल्ली और वाराणसी में भी किया था। पहली वेधशाला 1725 ने दिल्ली में बनी। इसके 10 वर्ष बाद 1734 में जयपुर में जंतर मंतर का निर्माण हुआ। इसके 15 वर्ष बाद 1748 में मथुरा, उज्जैन बनारस में भी ऐसी ही वेधशाला का निर्माण हुआ।
- जंतर मंतर ,दिल्ली
- जंतर मंतर,जयपुर
- जंतर मंतर ,मथुरा
- जंतर मंतर,उज्जैन
- जंतर मंतर, बनारस