जानिए नोबेल पुरस्कार कब से दिया जाना लगा और क्यों और किसके नाम पर

अल्फ्रेड बेनारह नोबेल के नाम पर ही नोबेल पुरस्कार दिया जाता हैं। उन्होंने इस पुरस्कार की स्थापना 1901में की। वे स्वीडन के एक व्यापारी और केमिकल इंजीनियरिंग भी थे।

अल्फ्रेड बेनारहर्ड नोबेल का जन्म 1833 में स्वीडन के स्टॉकहोम में हुआ था।

अल्फ्रेड बेनारहर्ड नोबेल 9 वर्ष की उम्र में वे अपने परिवार के साथ रूस चले गए।

अल्फ्रेड बेनारहर्ड नोबेल ने डायनामाइट की खोज की।

वे डायनामाइट के बहुत बड़े व्यापारी थे।

एक दिन उनके भाई की मृत्यु हो गई। और समाचार में एक पत्रकार की गलती से उनका नाम डाल दिया और उनकी चारो तरफ निंदा होने लगी।

यह देखकर उनको बड़ा दुःख हुआ और शायद वो पहले ऐसे व्यक्ति होंगे जो अपनी मृत्यु का समाचार सुन सके।

इसके बाद उन्होंने ने निश्चय किया कि वे शांति स्थापित करेंगे। उन्होंने शांति स्थापित करने के लिए बहुत कार्य किए।

इसके बाद में 1896 में उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद पता चला की उन्होंने वसीयत लिखी उसमे लिखता की जो व्यक्ति सबसे काबिल हो और वह किसी भी देश का या अपने देश का भी हो उसे यह पुरस्कार प्राप्त हो।

इसके बाद विज्ञान साहित्य शांति और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में पुरस्कार को बॉटा गया।

इस पुरस्कार को वर्ष में अधिकतम तीन लोगों को दिया जाएगा। विजेता को एक स्वर्ण पदक और साथ ही डिप्लोमा स्वीडन देश की नागरिकता में एकस्टेशन और धन दिया जाएगा।

अगर एक पुरस्कार के दो विजेता हैं तो उनमें सामन राशि बांटी जाए गी

भारत में इस पुरस्कार प्राप्त करने वाले कई लोग हैं जो उसमें रविन्द्र नाथ टैगोर को प्रथम पुरस्कार मिला था।

उसके बाद दूसरी बार और विज्ञान की क्षेत्र में डॉ सी. वी रमन को मिला था।

1937,1938,1939,1947, एवं 1948 में महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया पर उन्हें एक बार भी उन्हें एक बार भी समानित नहीं किया गया।

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