जानिए शिव जयंती को शिवरात्रि कहकर क्यों मनाते हैं?

शिवरात्रि दो शब्दों से बना है, शिव और रात्रि। इसलिए, शिवरात्रि का मतलब है भगवन शिव की रात्रि। शिवरात्रि हर महीने के १४वे तारिक को अमावस्या के दिन मनाया जाता है। साल के १२ शिवरात्रि में से, महाशिवरात्रि सबसे ज्यादा महत्तवपूर्ण है जो ग्रहों की स्थिति को देखते हुए माघ या फाल्गुन में मनाया जाता है।

महाशिवरात्रि के दिन गृहों की स्थिति इस तरह होती है की शरीर में ऊर्जा और अध्यात्म की वृद्धि हो जाती है। प्राचीन संत-साधु के अनुसार,महाशिवरात्रि नास्तिको के लिए अध्यात्म की और बढ़ने का सबसे उचित दिन है क्यूंकि इस दिन शरीर की प्रकीर्तिक ऊर्जा स्वयं ही आपके मन को सही दिशा में ले जाती है ।

हमारे ग्रन्थ के अनुसार , इस ब्रह्माण्ड का निर्माण और नाश चक्रीय है , मतलब निर्माण और नाश बार बार दोहराता रहता है। भगवन ब्रह्मा की रचनाओं का नाश भगवन शिवा करते है जिसके बाद भगवन ब्रह्मा फिर नया निर्माण करते है। जब विध्वंश का समय आता है तब भगवन शिव नाश का नृत्य करते है, जिससे शिव तांडव कहा जाता है। तांडव के अंत में बहगवां शिव की तीसरी आँख से ऐसा ज्वाला निकलता है की सारा ब्रह्माण्ड का अंश हो जाता है। यह कहा जाता है की महाशिवरात्रि इस तांडव नृत्यु की बरसी के रूप में मनाया जाता है क्यूंकि विध्वंश ही नया निर्माण की नीव रखता है।

समुद्र मंथन से अमृत के इलावा कई और पदार्थों निकले थे। उनमे से एक पदार्थ हलाहल यानि की विष था। यह विष इतना जहरीला था की सारा संसार का विनाश हो जाता था। तब भगवान् विष्णु की सलाह पर, देवताऒं ने भगवन शिवा से मदद की गुहार की। भगवन शिवा तुरंत विष का पान करने के लिए तैयार हो गए। माता पारवती को डर था की जहर भगवन शिव को नुक्सान न पंहुचा दे। इसलिए, जब भगवन शिव जब हलाहल निगल रहे थे, तब माता पारवती ने उनके गले को दबाकर रखा । विष से भगवन शिव को कुछ नुक्सान तो नहीं हुआ किन्तु उनका गला नीला रंग का हो गया। यही कारण है कि भगवन शिव को नीलकंठ कहा जाता है ।

भगवान् शिव की इस महिमा को श्रद्धांजलि देने के लिए महाशिवरात्रि मनाया जाता है। सभी भक्त भगवन शिव की पूजा करते है ताकि जिस तरह भगवन शिव ने विष पान कर अपने सभी भक्तों की रक्षा की, उसी तरह वह हानि , अज्ञानता और मृत्यु से हमेशा अपने सभी भक्तो की रक्षा करते रहे।

ऐसा कहा जाता है देवी सती की मृत्यु के बाद , भगवन शिव एक तपस्वी की तरह जीने लगे, कड़ी तपस्या करने लगे और गहरी साधन में लींन हो गए। सती ने फिर भगवन शिव की अर्धांगिनी बनने के लिए पार्वती के रूप में जनम लिया। पार्वती ने भगवन शिव का ध्यान पाने के लिए कठोर तपस्या की किन्तु भगवन शिव अपने तपस्या में लीं रहे। माता पारवती ने फिर और कड़ी तपस्या की। सदियों के तपस्या के बाद, भगवन शिव माता पवर्ती के समर्पण, भक्ति और प्यार से प्रभावित हुए और उन्हें अपना पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया ।

महाशिवरात्रि भगवान् शिव और माता पारवती के मिलन का दिन है जो की फाल्गुन महीने के १४वे दिन की काली रात को मनाया जाता है। भगवन शिव की लिंगा की रूप में और माता पारवती को योनि की रूप में मानकर उनकी अर्धनारेश्वर रूप की पूजा की जाती है ।

जैसा की इस कहानी में आपने सुना,भगवान् शिव को एक उत्तम पति माना जाता है। इसलिए, सभी अवविवाहित स्स्त्रियां पुरे दिन व्रत रखती है और शिवलिंग की पूजा करती है ताकि भगवन शिव उन्हें उनके जैसा ही एक पति दान करे। विवाहित स्त्रियां पति की लम्बी और खुशहाल ज़िन्दगी के लिए भगवन शिव की वंदना करती है। बाकि सभी अपने कठिनाइयों से छुटकारा पाने के उद्देश्य से शिवलिंग की पूजा करते है। क्यूंकि भगवन शिव मृत्यु के देवता है, उनके आशीर्वाद से परिवारजनों को लम्बी आयु और खुशहाल ज़िन्दगी प्राप्त होती है ।

भगवन शिव को प्रसनन करने के लिए निचे दिए गए रस्मो का अनुकरण करेहर सोमवार को पुरे दिन सख्त उपवास करेभगवन शिव का अभिषेक करे यानि की बेल के पत्ते,फूल,पानी,दूध वगेरा शिवलिंग पर चढ़ायेभगवन शिव की मंत्र या गाना का उच्चारण करेमहामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण १०८ बार करेमहामृत्युंज मंत्र सबसे शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। यह मंत्र इस तरह हैॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌॥इस मंत्र का उच्चारण १०८ बार योग साधना के मुद्रा में करे। आँखे बंद रखे और रुद्राक्ष माला का उपयोग मंत्र गिनने के लिए करे। रुद्राक्ष दो शब्दो से बना है, रूद्र और अक्ष।असली रुद्राक्ष भगवन शिव की अक्ष से बना था। रुद्राक्ष का उपयोग करते हुए मंत्र पढ़ने से भगवन शिव का आशीर्वाद मिलता है , मनुष्य का मन स्थिर होता है, रख्त चाप नियंत्रण में रहता है और निराशा या दुःख का अंत हो जाता है ।अगर १०८ बार महामृत्युंज मंत्र का पढ़ने का समय न हो तो, केवा ॐ नमः शिवाय का उच्चारण १०८ बार करे. यह आप ऑफिस में या ऑफिस जाते समय बस या कैब में भी कर सकते है ।

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