जीभ के नीचे बनी गांठ को न करें नजरअंदाज, हो सकती है ये गंभीर बीमारी

दुनिया में कई -तरह की बीमारियां हैं, जिनके -बारे में बहुत कम ही लोग -जानते हैं। ऐसी ही एक -बीमारी है अडेनाइड सिस्टिक- कार्सिनोमा। असल में यह -एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है, जिसकी- शुरुआत आमतौर पर लार बनाने वाली ग्रंथियों से होती है। एक -रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल कैंसर के पांच लाख मामलों में करीब 1200- मामले अडेनाइड सिस्टिक कार्सिनोमा के होते हैं। यह ऐसी बीमारी है, जो महिलाओं का अधिक प्रभावित करती है। इसके होने की कोई खास उम्रसीमा नहीं है बल्कि यह किशोरावस्था से लेकर आगे किसी भी उम्र तक हो सकती है। आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में…

वैसे तो यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है, ऐसे में कई लोगों को इसके बारे में समय पर पता चल ही नहीं पाता। जब तक लोग अडेनाइड सिस्टिक कार्सिनोमा के लक्षणों को नोटिस करते हैं, तब तक वह शरीर के अन्य हिस्सों में फैल चुकी होती है। यह बीमारी फेफड़ों या हड्डियों में फैल सकती है।

इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के जीभ के नीचे या गाल के अंदर गांठ बन जाती है। वैसे तो ये गांठ धीरे-धीरे बढ़ती है और उसमें दर्द भी नहीं होता, लेकिन पीड़ित को किसी भी चीज को निगलने में परेशानी जरूर हो जाती है। साथ ही पीड़ित की आवाज में भी बदलाव हो सकता है। चूंकि इस तरह का कैंसर नसों में फैल सकता है, ऐसे में पीड़ित व्यक्ति के चेहरे पर दर्द जैसा अहसास हो सकता है या चेहरा सुन्न भी हो सकता है

इस बीमारी के कारण क्या हैं?

वैसे तो इस बीमारी का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि यह कुछ कार्सिनोजेंस यानी कैंसर वाले तत्व जैसे प्रदूषण से जुड़ा हो सकता है। यह बी्मारी गैर-वंशागत, आनुवांशिक परिवर्तनों की वजह से भी हो सकती है।

क्या है इस बीमारी का इलाज?

इस बीमारी में डॉक्टर सर्जरी के बाद रेडिएशन ट्रीटमेंट करते हैं। इस दौरान वो गांठ को ठीक करते हैं, साथ ही उसके आसपास के कुछ स्वस्थ ऊतकों को भी हटा देते हैं। चूंकि यह बीमारी नसों के जरिए भी फैल सकती है, इसलिए डॉक्टर नसों की भी जांच करते हैं। इसके बाद वो कैंसरग्रस्त ऊतक को निकाल देते हैं। कभी-कभी तो इस प्रकार के कैंसर को पूरी तरह ठीक करने के लिए तंत्रिका के प्रभावित हिस्से को ही निकालना पड़ जाता है। इसके बीमारी के इलाज के बाद भी मरीज की नियमित तौर पर जांच की जाती है, क्योंकि कुछ मामलों में कैंसर वाली गांठ के आने का खतरा रहता है।

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