ज्योतिष के अनुसार किसी व्यक्ति का राक्षस गण में होना उसके जीवन में क्या नकारात्मकता या सकारात्मकता लाता है ?
गणों की सबसे ज्यादा आवश्यकता विवाह मिलान के समय पड़ती है
- गण के आधार पर मनुष्य का स्वभाव और उसका चरित्र बताया गया है।
प्रत्येक मनुष्य को गण के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा गया है
देव गण, मनुष्य गण और राक्षस गण।
- राक्षस गण वाले लोग नकारात्मक चीजों को बहुत जल्दी पहचान लेते हैं
- सिक्स सेंस यानि छठी इंद्री काफी तेज होती है
- निडर साहसी , कठोर वचन बोलने वाले
- हर परिस्थिति का डटकर सामना करने वाले होते हैं
- राक्षस गण को देव गण से शादी नहीं करना चाहिए क्योंकि स्वभाव में ज्यादा अंतर होने की वजह से तालमेल नहीं बैठ पाता
- अगर जन्म कुंडली के अनुसार आप का गण राक्षस है तो कोई घबराने वाली बात नहीं है, जब आप जीवनसाथी के साथ मिलान कराएं गुण मिलान अवश्य कराएं
किस गण से हो राक्षस गण का विवाह
विवाह के समय मिलान करते हुए गणों का मिलान भी करते हैं। गणों का सही मिलान होने पर दांपत्य जीवन में सुख और आनंद बना रहता है। मैं ज्योतिषी नहीं हूं लेकिन मैंने कुंडली मिलान / गुण मिलान प्रयागराज के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय जी से सीखा है और उनके द्वारा दी गई शिक्षा ही उत्तर का मूल स्रोत है
- वर-कन्या का समान गण ( राक्षस-राक्षस ) होने पर दोनों के मध्य उत्तम सामंजस्य बनता है। ऐसा विवाह सर्वश्रेष्ठ रहता है।
- वर-कन्या के देव गण और राक्षस गण होने पर दोनों के बीच सामंजस्य नहीं रहता है। विवाह नहीं करना चाहिए।