“तांडव” फिल्म पर इतना बवाल क्यों मचा है,उसमें ऐसा क्या दिखाया गया है जिससे कि लोग भड़क गए हैं जानिए

कुछ भी तो नहीं यार ! बेकार की बकवास है। अब यह तो सदियों से होता आया है। आज पहली बार तो यह हुआ नहीं है कि आप बवाल काट रहे हैं ? मकबूल फिदा हुसैन ने आपके देवी देवताओं और भारत माता की आपत्तिजनक स्थिति में नंगी तस्वीर बना दी तब तो आपको कोई दर्द नहीं हुआ बल्कि आपने कला की अभिव्यक्ति के नाम पर उन्हें पद्म सम्मान से सम्मानित कर दिया?

शरजील इमाम को अमिताभ बच्चन ने अपने केबीसी प्रोग्राम में भारत के महान नेताओं की श्रेणी खड़ा कर दिया। तब तो आप इनाम जीतने की जुगत में लगे रहे? चूं करने की भी हिम्मत नहीं हुई? सदियों से फिल्मों में सारे चोर , उचक्के , बेईमान और रेपिस्ट पंडित या बनिया और सारे इमानदार और सहृदय मुल्ला और सफेद कोट वाले दिखाएं जा रहे हैं ?

अमिताभ बच्चन चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं उन्हें भगवान शंकर नहीं ७८६ नंबर का बिल्ला ही बचा सकता है और आपको दर्द नहीं हुआ बल्कि कला के नाम पर आपने उन्हे महानायक बना दिया। ऐसे हजारों उदाहरण दे सकता हूं आपकी कायरी और खुद परस्ती के जहां कला और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर आपने सिर्फ अपने दब्बू छवि को निखारा है।

कला ? माई फुट !

एनसीईआरटी ने ऐलानिया औरंगजेब को हिंदू मंदिरों का रक्षक घोषित कर दिया, और आप तांडव को लेकर तांडव कर रहे हैं। यह बात दूसरी है कि उनके पास इसका कोई सबूत नहीं है, लेकिन आपने उनका कर क्या लिया ?

भाई ! जैसा बोओगे वैसा ही तो काटोगे? ७३ सालों से अपने स्वार्थ को सर्वोच्च मानते हुए , सहुलियत के अनुसार अहिंसा परमो धर्म; को मानते हुए , आप ने अपनी जो दब्बू छवि बना रखी है , एक दिन में तो वह खत्म होने से रही ?

फिलहाल बवाल निपटाने के लिए तांडव टीम ने माफी मांग कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की है। अदालत भी उन पर मेहरबान है। अग्रिम जमानत दे दी है। आखिर वो भी तो मुरलीधारी गोविंदा हैं ? आप विश्वास मानिए यह न पहली बार हुआ है और न ही यह आखिरी बार होगा। हमारा हिंदू समाज अमिताभ बच्चनों और जया भादुड़ियों से भरा पड़ा है। वे बड़े लोग हैं। हम छोटों को उन्हें छूने की भी औकात नहीं? हम छोटे लोग तो बस उनकी कला पर जेब से पैसा खर्च कर तालियां बजवाते रहेंगे। सही कहूं तो असली भांड तो हम हैं !

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