तिल संकटा चौथ का क्या महत्व है ?

इसे माघी चौथ या तिलकुट चौथ भी कहा जाता है। संकट हरण करने वाली चतुर्थी होने के कारण इसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत से संतान की आयु लंबी होती है इसलिए माताएं इस व्रत को रखती हैं। अगर आप यह व्रत नहीं भी करते हैं तो इस दिन गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए कुछ नियमों का पालन करें तो भविष्य,शिक्षा, व्यापार और स्वास्थ्य के मामले में लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

संकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को कहा जाता है लेकिन माघ मास की इस चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भूमि के अंदर होने वाले कंद मूल का सेवन नहीं करना चाहिए इसलिए मूली, प्याज, गाजर, चुकंदर खाने से परहेज रखें। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मूली खाना आर्थिक मामलों में अशुभ फलदायी होता है।

इस दिन स्नान करके उत्तर दिशा की ओर मुंह करके भगवान गणेश की पूजा करना चाहिए और जल अर्पित करना चाहिए। इस व्रत में तिल का खास महत्व है इसलिए जल में तिल मिलाकर जल से अर्घ्य देने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इससे आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है।

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