त्वचा विज्ञान, सोराइसिस क्या है? जानिए

सोरायसिस एक क्रोनिक ऑटोइम्यून डिजीज है जिसमें त्वचा कोशिकाओं का निर्माण तेजी से होता है और इसके कारण त्वचा की सतह पर मोटी परत जम जाती है l ये परत त्वचा पर लाल या सफेद-चांदी के रंग के, मोटे, चकत्ते या घाव (जिसे प्लैक कहा जाता है) के रूप में देखी जाती है l कभी-कभी, इन चकत्तों में दरार और खून आता है।

सोरायसिस त्वचा उत्पादन प्रक्रिया में होनेवाली तेजी का परिणाम है। आमतौर पर, त्वचा की कोशिकाएं त्वचा में गहराई में बढ़ती हैं और धीरे-धीरे सतह पर आती हैं। आखिरकार, वे गिर जाते हैं। त्वचा कोशिका का विशिष्ट जीवन चक्र एक महीने का होता है।

सोरायसिस वाले लोगों में, यह उत्पादन प्रक्रिया कुछ ही दिनों में हो सकती है। इस वजह से, त्वचा की कोशिकाओं के गिरने के पहले ही नई कोशिकाओं का निर्माण तेजी से होता है और त्वचा त्वचा की सतह पर मोटी परत जम जाती है।

इन की शुरुआत आमतौर पर जोड़ों से होती हैं, जैसे कोहनी और घुटने। वे शरीर पर कहीं भी विकसित हो सकते हैं, जिनमें हाथ, पैर, गरदन, स्कैल्प, चेहरा शामिल हैं l कभी कभी सोरायसिस नाखून, मुंह और जननांगों के आसपास के क्षेत्र को भी प्रभावित करता हैं।

सोरायसिस के लक्षण हर व्यक्ति में भिन्न होते हैं और सोरायसिस के प्रकार पर निर्भर करते हैं। सोरायसिस स्कैल्प या कोहनी पर छोटी बारिश की बूंदो के आकार के हो सकते हैं, या शरीर के अधिकांश हिस्से में फैले हो सकते हैं।

सोरायसिस के सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं:

· त्वचा के लाल, उभरे हुए, इन्फ्लेम्शन युक्त पैच

· लाल पैच पर सफ़ेद-चांदी की स्केल्स

· सूखी त्वचा जिसमें दरार और रक्त स्राव हो सकता है

· पैच के आसपास खुजली और जलन या दर्द

सोरायसिस के क्रॉनिक और गंभीर होने पर ५ से ४० प्रतिशत रोगियों में जोड़ों का दर्द और सूजन जैसे लक्षण भी पाए जाते हैं एवं कुछ रोगियों के नाखून भी प्रभावित हो जाते हैं और उन पर रोग के चिह्न (पीटिंग) दिखाई देते हैं।

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